बसपा-सपा के गठबंधन पर बुआ-भतीजे ने लगाई मुहर

उत्तर प्रदेश में बसपा और सपा  38-38 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। रायबरेली और अमेठी को कांग्रेस के लिए छोड़ दिया गया है। बाकी दो सीटें रालोद को दिए जाने की बात कही जा रही है।

लखनऊचर्चा तो लंबे अर्से से थी, तय क्या हुआ है यह भी लोग लगभग जान ही चुके थे, लेकिन शनिवार को इसका विधिवत ऐलान हो गया। ‘अवसरों की राजनीति’ का सबसे बड़ा अध्याय लिखते हुए भारतीय राजनीति को दो सबसे बड़े धुर विरोधी दल एक साथ आ गए।सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक मंच पर आकर लोकसभा चुनाव-2019 के लिए महागठबंधन की विधिवत घोषणा कर दी। बुआ-भतीजे ने एक साथ मीडिया को संबोधित किया। दोनों पार्टियां उत्तर प्रदेश में 38-38 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं।

भाजपा और राजग के खिलाफ उत्तर प्रदेश में भी बिहार की तर्ज पर  महागठबंधन बनाए जाने की भूमिका लंबे वक्त से बनाई जा रही थी। उत्तर प्रदेश सबसे अधिक सांसद भेजता है और अब तक का इतिहाल यही रहा है कि जिसने उत्तर प्रदेश जीता, केद्र में सरकार उसी की बनती रही है। इसीलिए महागठबंधन के लिहाज से उत्तर प्रदेश खासी अहमियत रखता है। पिछले लोकसभा चुनाव में राजग ने यहां 80 में से 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी जिसमें से 71 सीटें तो अकेले भाजपा की झोली में आयी थीं। 

मां-बेटे के लिए छोड़ीं रायबरेली और अमेठी सीटें

सपा-बसपा के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर समझौते पर सहमति बन जाने की जानकारी स्वयं अखिलेश यादव और मायावती ने दी। दोनों दल 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के भी इस गठबंधन में शामिल होने की संभावना है लेकिन सपा-बसपा ने सिर्फ चार सीटें सहयोगियों के लिए छोड़ी हैं। बुआ-भतीजे ने इनमें से भी दो सीटें रायबरेली और अमेठी मां-बेटे (सोनिया गांधी और राहुल गांधी) के लिए छोड़ रखी हैं। कहा जा रहा है कि बची हुई दो सीटें रालोद के लिए छोड़ी गई हैं।

दरअसल 2014 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में सपा और बसपा की उप्र में जैसी दुर्गति हुई, उसी ने इन दो धुर विरोधी दलों को एक साथ आने पर मजबूर कर दिया। इसकी भूमिका गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों के उप चुनाव के दौरान लिखी गई जब बसपा ने सपा को समर्थन देने का फैसला किया था। तब अखिलेश यादव लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित बसपा प्रमुख मायावती के बंगले पर धन्यवाद देने पहुंचे थे। इसके बाद ही भाजपा के खिलाफ दोनों दलों के बीच गठबंधन की नींव पड़ने लगी थी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाल ही में नई दिल्ली स्थित बसपा सुप्रीमो मायावती के बंगले पर उनसे मुलाकात की थी। उस वक्त दोनों की तीन घंटे से अधिक चली बैठक में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर गठबंधन और सीटों के बंटवारे पर विस्तार से चर्चा हुई।  कुछ दिन पहले भी अखिलेश यादव  की बसपा के कुछ महत्वपूर्ण नेताओं से दिल्ली में मुलाकात हुई थी। इसमें सीटों के बंटवारे पर भी बात हुई थी। सीटों के बंटवारे से स्पष्ट हो गया है कि मायावती और अखिलेश यादव ने कांग्रेस को गठबंधन से बाहर ही रखने पर मुहर लगा दी है।

gajendra tripathi

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