लखनऊ। लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अब राजनीतिक दल समीक्षा में जुट गये हैं। उत्तर प्रदेश में बसपा, सपा व राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं के बीच हुए गठबंधन का भविष्य भी खतरे में आ गया है।। बसपा सुप्रीमो मायावती ने सीटें कम रह जाने के कारणों को खोजना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में सोमवार को उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में प्रदेश के बसपा जिला अध्यक्ष, मंडल कोऑर्डिनेटर, नवनिर्वाचित सांसद, पराजित प्रत्याशियों तथा अन्य पार्टी पदाधिकारियों के साथ हुई समीक्षा बैठक में ये बातें सामने आई।
समीक्षा बैठक में मायावती ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव और समाजपार्टी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि शिवपाल यादव ने बीजेपी को यादव वोट ट्रांसफर कराए और सपा इसे रोक नहीं पाई। शिवपाल बीजेपी से मिले हुए हैं। मायावती ने कहा कि अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल यादव को भी चुनाव नहीं जिता पाए। डिंपल कन्नौज से चुनाव लड़ी थीं, वहां उन्हें हार मिली। मायावती को मिले फीडबैक से अब उत्तर प्रदेश में सपा व बसपा के साथ गठबंधन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। माना जा रहा है कि अब बसपा विधानसभा उपचुनाव अकेले लड़ेगी।
उन्होंने बैठक में कहा है कि अब यूपी के 11 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। छह महीने में ही उप चुनाव होने हैं। 11 सीट पर होने वाले उप चुनाव में बसपा और सपा के एक-एक विधायक जीतकर संसद पहुंचे हैं। जलालपुर से बसपा विधायक रितेश पांडेय अम्बेडकरनगर से चुने गए हैं और रामपुर से सपा के आजम खान सांसद बने हैं।
लोकसभा चुनाव 2019 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को मात्र पांच सीट मिली हैं। इनमें भी तीन सीट यादव परिवार ने गंवा दी है। लोकसभा चुनाव 2014 में एक भी सीटें न जीत पाने वाली बसपा को दस सीट मिली हैं। इस नतीजे के बाद समाजवादी पार्टी में अंदर ही अंदर इस बात की चर्चा की थी कि बसपा का वोट सपा को ट्रांसफर नहीं हुआ था। इस बात की आशंका सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने पहले ही जता दी थी और उनकी बात सही साबित हुई। बसपा के साथ गठबंधन के बावजूद समाजवादी पार्टी को महज पांच सीटें ही मिली हैं। इतना ही नहीं सपा के दुर्ग कहे जाने वाले कन्नौज, बदायूं और फिरोजाबाद में परिवार के सदस्य चुनाव हार गए।
अब ‘हाथी’ नहीं करेगा ‘साईकिल’ की सवारी, मायावती जी अकेले ही लड़ेंगी सभी उप चुनाव !
आखिर में बुआ ने बबुआ को धोखा दे ही दिया. हाथी और साइकिल का कोई मेल ही नहीं था ये तो सिर्फ मोदी जी का विरोध ही था। (1/2) @BJP4India @BJP4UP— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) June 3, 2019
बसपा का उपचुनाव लडऩे का फैसला चौंकाने वाला है। बसपा के इतिहास को देखें तो पार्टी उपचुनाव में प्रत्याशी नहीं उतारती। 2018 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने प्रत्याशी नहीं उतारे थे और सपा को समर्थन किया था। इसी आधार पर लोकसभा चुनाव में भी गठबंधन बना
अब अगर मायावती अकेले चुनाव में उतरने का फैसला करती हैं तो गठबंधन के भविष्य पर सवाल उठाना लाजिमी है। सपा से गठबंधन के तहत बसपा ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें सिर्फ 10 सीटों पर उसे जीत हासिल हुई। 37 सीटों पर चुनाव लडऩे वाली सपा के खाते में महज पांच सीटें ही आई। तीन सीट पर लड़ी राष्ट्रीय लोकदल का तो खाता ही नहीं खुला। बसपा प्रमुख मायावती लोकसभा चुनाव परिणाम की पिछले तीन दिनों से राज्यवार समीक्षा कर रही हैं।
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