उत्तर प्रदेश में बसपा सुप्रीमो मायावती तय करेंगी गठबंधन में रालोद की स्थिति। अखिलेश और जयंत के बीच हुई बातचीत में नहीं बन पायी बात।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अगुवाई में बन रहे गठबंधन की गांठ अब भी नहीं सुलझ पायी है। सपा मुख्यलय में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) उपाध्यक्ष जयंत चौधरी बीच बंद कमरे में चली वार्ता का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। करीब पौन घंटे की बातचीत में रालोद ने पांच सीटों पर अपना दावा ठोंका लेकिन अखिलेश ने दो से अधिक सीटों पर हामी भरने से इन्कार कर दिया। अखिलेश ने इस बारे में बसपा सुप्रीमो मायावती से सहमति मिलने के बाद स्थिति स्पष्ट करने की बात कही है।

 रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव में हुई बातचीत के दौरान वहां अन्य कोई मौजूद नहीं था। बैठक के बाद जयंत ने बताया कि चाय की चुस्कियों के बीच सुखद वातावरण पर चर्चा हुई और गठबंधन पर भी विचार हुआ। भाजपा को हराने के लिए एकता पर भी सहमति बनी। हालांकि जयंत ने सीटों के बंटवारे पर टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। उनका कहना था कि उचित समय पर इसकी सूचना मिल जाएगी परंतु यह निश्चित है कि रालोद गठबंधन कर लोकसभा चुनाव में उतरेगा।खनन घोटाले की सीबीआइ जांच उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक पहुंचने पर जयंत ने भाजपा पर निशाना साधा। कहा- केवल सीबीआइ ही नहीं बल्कि न्यायिक संस्थाएं भी राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते प्रभावहीन हो चुकी हैं। इन संस्थाओं का दुरुपयोग देश हित में नहीं है।

केंद्र सरकार द्वारा गरीब सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण देने के सवाल पर जयंत ने कहा कि अब से पूर्व भी कई घोषणाएं और फैसले किए गए लेकिन ठीक से अमल न हो सका। अब चुनाव निकट आते ही गरीबों के लिए आरक्षण देने की घोषणा कहीं चुनावी जुमला न रह जाए।

गौरतलब है कि कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासा दबदबा रखने वाला रालोद फिलहाल खराब दौर से गुजर रहा है। सन् 2014 के लोकसभा चुनाव में अध्यक्ष अजीत सिंह और उपाध्यक्ष जयंत चौधरी समेत उसके सभी उम्मीदवार हार गए थे। कैराना लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव को जीतकर उसने जैसे-तैसे अपनी इज्ज्त बचाई। इसमें भी उसे सपा और बसपा का सहारा लेना पड़ा था।

 

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