लखनऊ। उत्तर प्रदेश की 8 विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को उप चुनाव होगा। रामपुर की स्वार सीट पर उपचुनाव नहीं होगा। निर्वाचन आयोग के प्रमुख सचिव सुमित मुखर्जी के अनुसार 10 नवंबर को उपचुनाव के नतीजे आएंगे। उप चुनाव के लिए अधिसूचना 9 अक्टूबर को जारी होगी। नामांकन की अंतिम तिथि 16 अक्टूबर है जबकि 17 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी। 19 अक्टूबर नाम वापसी की अंतिम तिथि है।
उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय शुक्ला की तरफ से 7 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर संबंधित जिलों में आदर्श आचार संहिता लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। कोरोना वायरस महामारी की वजह से कोविड-19 प्रोटोकॉल का अनुपालन कराते हुए उपचुनाव कराए जाएंगे। इसके साथ ही सभी जिलों में किसी भी प्रकार के ट्रांसफर पोस्टिंग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है।
रामपुर की स्वार सीट पर अभी चुनाव नहीं होगा। यहां से सपा संसद आजम खान के पुत्र अब्दुल्ला आजम खां विधायक थे। गलत आयु प्रमाण पत्र देने के मामले में उनकी विधानसभा सदस्यता रद हो गई है।
अब्दुल्लाह आजम के 6 साल चुनाव ना लड़ने पर रोक लगाने की शिकायत राष्ट्रपति से की गई है। जब तक राष्ट्रपति के पास इस मामले में सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक चुनाव नहीं कराया जा सकता। अब्दुल्ला आजम के संबंध में उत्तर प्रदेश विधान सभा सचिवालय ने बीते गुरुवार को राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। जिस पर भारत निर्वाचन आयोग से सहमति के बाद उनके चुनाव लड़ने पर रोक का आदेश जारी किया जाएगा। फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2018 को अब्दुल्ला आज़म को भ्रष्ट आचरण का दोषी मानते हुए उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी थी। इसे आधार मानते हुए विधानसभा सचिवालय से इस सीट को 16 दिसंबर 2019 से रिक्त घोषित कर दिया गया था।
उत्तर प्रदेश में भाजपा को काबिज हुए लगभग साढ़े 3 साल का वक्त बीत चुका है। ऐसे में अब निर्वाचित विधायकों के पास सदन में बैठने का बहुत ज्यादा मौका नहीं होगा। सभी 8 निर्वाचित विधायक डेढ़ साल से भी कम वक्त के लिए निर्वाचित होंगे। दरअसल, 2022 में उत्तर एक बार फिर विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुट जाएगा। 2017 विधानसभा चुनाव में इन 8 में से 6 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा था। इनमें से विधायक कमल रानी वरुण, पारसनाथ यादव, वीरेंद्र सिरोही, जन्मेजय सिंह और चेतन चौहान का निधन हो चुका है।
1- मल्हनी, जौनपुर : जौनपुर की यह अहम सीट 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के पारसनाथ यादव ने जीती थी। इनके निधन के कारण यह सीट खाली हुई है। उनके खिलाफ बाहुबली धनंजय सिंह भी निषाद पार्टी से उतरे थे। यादव और ठाकुर बाहुल्य इस सीट पर इस बार भी मुकाबला कठिन होगा।
2- बांगरमऊ, उन्नाव : भाजपा से निष्कासित दुष्कर्म कांड के दोषी कुलदीप सिंह सेंगर की सदस्यता जाने के कारण सीट खाली हुई है।
3- देवरिया सदर, देवरिया : भाजपा के जन्मेजय सिंह के निधन के कारण यह सीट खाली हुई है।
4- टूण्डला, फिरोजाबाद : योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल के आगरा से भाजपा से सांसद बनने के बाद से यह सीट खाली चल रही है। बीते वर्ष उपचुनाव में इस सीट पर चुनाव नहीं कराए जा सके थे क्योंकि मामला कोर्ट में चला गया था।
5- बुलंदशहर सदर, बुलंदशहर : 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के वीरेन्द्र सिंह सिरोही विधायक चुने गये थे। उनके निधन के कारण यह सीट खाली हुई है।
6- घाटमपुर, कानपुर शहर : योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री कमलरानी वरुण के निधन से यह सीट खाली हुई है। कमलरानी वरुण का निधन कोरोना संक्रमण के कारण हो गया था।
7- नौंगाव सादात, अमरोहा : पूर्व सांसद व टेस्ट क्रिकेटर चेतन चौहान 2017 के चुनाव में भाजपा से विधायक चुने गयए थे। वह योगी आदित्यनाथ सरकार के दूसरे मंत्री थे जिनका कोरोना से निधन हुआ।
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