कानपुर। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़काने के आरोप में पुलिस ने चरमपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के 5 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। खुफिया एजेंसियों और पुलिस की जांच में पता चला है कि 15 दिसंबर 2019 से लेकर अब तक शहर में सीएए और एनआरसी के विरोध को लेकर जो धरना-प्रदर्शन और हिंसा हुई उसकी फंडिंग पीएफआइ ने ही की थी। चमनगंज के मोहम्मद अली पार्क में एक महीने से भी अधिक समय से चल रहे धरना-प्रदर्शन के लिए धनराशि भी पीएफआई द्वारा ही दिए जाने की जानकारी सामने आई है।
कानपुर में छिटपुट विरोध प्रदर्शन 15 दिसंबर से ही शुरू हो गए थे लेकिन बड़ा बवाल 20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद हुआ। बाबूपुरवा मे हिंसा के बाद गोलीबारी, पथराव और आगजनी में तीन लोगों की मौत हो गई जबकि एक दर्जन लोग घायल हुए थे। यतीमखाने से हजारों की भीड़ ने निषेधाज्ञा तोड़कर शहर के एक बड़े हिस्से में जुलूस निकाला था जिससे पूरे शहर में अफरातफरी मच गई थी। इसके अगले दिन यतीमखाना में पुलिस के साथ उपद्रवियों के खूनी संघर्ष में 40 से अधिक लोग घायल हो गए थे। औद्योगिक महानगर अब भी छिटपुट विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में जानकारी मिली थी कि केरल के चरमपंथी संगठन पीएफआई ने विरोध के लिए मोटी धनराशि मुहैया कराई। एसएसपी अनंत देव ने बताया कि पीएफआई के कुछ बैंक खाते पुलिस की नजर में हैं।
सूत्रों के अनुसार अब तक की जांच के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि पीएफआई ने कानपुर में दंगा कराने के लिए 10 से 12 करोड़ रुपये खर्च किए जिसके करीब 10 बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया।
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