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सीएए हिंसा: इलाहाबाद हाईकोर्ट यूपी सरकार के हलफनामे से असंतुष्ट, विस्तृत रिपोर्ट तलब

प्रयागराज। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हुई हिंसा को लेकर दाखिल याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार को एक साथ सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ती सिद्धार्थ वर्मा की डिवीजन बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे पर असंतुष्टि जाहिर की। साथ ही राज्य सरकार से सीएए हिंसा के सभी मामलों में 16 मार्च तक अलग-अलग विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। प्रदेश सरकार को इसके लिए न्यायालय से 16 मार्च तक का समय मिला है।

गौरतलब है कि 20 दिसंबर 2019 को जुमे की नमाज के बाद उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हिंसा और आगजनी हुई थी जिसमें 23 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी। मुंबई के वकील अजय कुमार और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) समेत कुल 14 लोगों/संगठनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उत्तर प्रदेश में सीएए हिंसा के दौरान हुई पुलिस कार्रवाई की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। हाईकोर्ट इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। हाईकोर्ट ने इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को भी जांच का आदेश दिया था लेकिन उसकी ओर से अब तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है।

हाईकोर्ट ने अलीगढ़ में हुई हिंसा को लेकर मोहम्मद अमन की ओर से दाखिल याचिका पर 26 फरवरी को अलग से सुनवाई का फैसला किया है। अधिवक्ता अजय कुमार, स्वामी अग्निवेश, वजाहत हबीबुल्ला समेत 13 अन्य याचिकाओं पर 18 मार्च को सुनवाई होगी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि हिंसा के दौरान कितने पुलिसकर्मी घायल हुए? सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि सीएए हिंसा के दौरान करीब तीन सौ पुलिसकर्मी घायल हुए थे। 

हाईकोर्ट ने मेडिकल लीगल सर्टिफिकेट दाखिल नहीं किए जाने पर राज्य सरकार के वकील से सवाल किया। सरकारी के वकील ने अदालत को बताया कि सर्टिफिकेट बहुत ज्यादा होने की वजह से वह दाखिल नहीं कर सके। डिवीजन बेंच ने सरकारी वकील से यह भी पूछा कि सीएए हिंसा के दौरान प्रदर्शनकारियों की ओर से चलाई गईं कितनी गोलियां जांच के लिए एफएसएल भेजी गईं?

इसके जवाब में यूपी सरकार के अधिवक्ता ने अदालत को जानकारी दी कि सीएए विरोध के दौरान हुई हिंसा में प्रदर्शनकारियों की ओर से चलाई गई सभी गोलियां जांच के लिए एफएसएल भेज दी गई हैं.

सरकार की ओर से अपने हलफनामे के साथ केवल 315 बोर के एक कारतूस की जांच रिपोर्ट दाखिल किए जाने पर अदालत ने सवाल पूछा. न्यायालय ने सीएए हिंसा के मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी को लेकर भी सरकारी वकील से जानकारी मांगी.

राज्य सरकार के वकील पुलिसकर्मियों के खिलाफ अब तक दर्ज एफआईआर को लेकर अदालत को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके. जिसके बाद अदालत ने यूपी सरकार के इस हफलनामे पर असंतुष्टि जाहिर करते हुए 16 मार्च तक विस्तृत हफलनामा दायर करने का निर्देश दिया.

gajendra tripathi

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