नई दिल्ली। सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडल समिति ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का नया पद बनाने को मंजूरी दे दी है। इस तरह जल्द ही देश को पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) मिलेगा। सीडीएस मुख्यत: रक्षा और रणनीतिक मामलों में प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के एकीकृत सैन्य सलाहकार के रूप में काम करेगा। सीडीएस की नियुक्ति से तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और बेहतर हो सकेगा।
केंद्रीय कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर ने कहा कि सरकार ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पोस्ट क्रिएट करने की मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ रक्षा मंत्रालय के तहत डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के मुखिया होंगे और चार स्टार जनरल होंगे।
सीडीएस सैन्य सुरक्षा मसले पर रक्षा मंत्री के मुख्य सलाहकार होंगे जिनका वेतन बाकी तीनों सेना प्रमुख के बराबर होगा। साथ ही कोई सीडीएस पद से रिटायर होने के बाद कोई सरकारी पद नहीं ले सकेगा और पांच साल तक बिना सरकार की इजाजत के किसी निजी कंपनी या कॉरपोरेट में नौकरी नहीं कर पाएंगे।
1999 में कारगिल समीक्षा समिति ने सरकार को एकल सैन्य सलाहकार के तौर पर चीफ आफ डिफेंस स्टाफ के सृजन का सुझाव दिया था। सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट समिति ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व वाली उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी। इस समिति ने सीडीएस की जिम्मेदारियों और ढांचे को अंतिम रूप दिया था।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ष 15 अगस्त को घोषणा की थी कि भारत में तीनों सेना के प्रमुख के रूप में सीडीएस होगा।
इसलिए पड़ी जरूरत
1999 में हुए कारगिल युद्ध की जब तत्कालीन डिप्टी पीएम लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में गठित ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने समीक्षा की तो यह पाया कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय की कमी थी। अगर तीनों सेनाओं के बीच आपसी समन्वय होता तो नुकसान को कम किया जा सकता था। उस समय चीफ ऑफ डिफेंस के पद बनाने का सुझाव दिया गया था। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ को तीनों सेनाओं के बीच तालमेल स्थापित करने और सैन्य मसलों पर सरकार के लिए सिंगल पॉइंट सलाहकार के तौर पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपने का सुझाव दिया गया। लेकिन, इस पद के लिए राजनीतिक आम सहमति न बनने और सशस्त्र बल के कुछ वर्गों की ओर से विरोध के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।