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Candida Auris: कोरोना के बीच नई आफत, लाइलाज फंगस से सहमा अमेरिका

वाशिंगटन। कोरोना वायरस के कहर से हलकान महाशक्ति अमेरिका पर एक और आफत टूट पड़ी है। देश में एक खतरनाक और जानलेवा फंगस कैंडिडा ऑरिस के मामले सामने आए हैं। अकेले वाशिंगटन डीसी में इससे संक्रमित 101 मरीज मिल चुके हैं। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने इस फंगस को एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य खतरा करार दिया है। अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि डलास क्षेत्र के दो अस्पतालों और वाशिंगटन डीसी के एक नर्सिंग होम ने इस लाइलाज फंगस के मामलों की जानकारी दी है। सीडीसी ने इस बीमारी को पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा बताया है।

सीडीसी ने कहा कि वह पहली बार कैंडिडा ऑरिस के कलस्टर को देख रहा हैं। इसमें मरीज एक दूसरे से संक्रमित हो रहे हैं। वाशिंगटन डीसी में कैंडिडा ऑरिस से संक्रमित 101 मामले रिपोर्ट किए गए हैं। इसमें से तीन ऐसे मामले थे, जो सभी तीन प्रकार की एंटीफंगल दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधी थे। उधर, डलास क्षेत्र के दो अस्पतालों में कैंडिडा ऑरिस के 22 मामलों का कलस्टर रिपोर्ट किया गया। इसमें से दो मामले मल्टीड्रग प्रतिरोधी पाए गए। सीडीसी का कहना है कि यह संक्रमण मरीजों से मरीजों में फैल रहा है। इस पर दवाइयां भी बेअसर हैं जिस वजह से यह जानलेवा है। डरावनी बात यह है कि मरीज की मौत के बाद भी यह फंगस जिंदा रहते हुए उसके आसपास की हर चीज पर मौजूद रहता है। 

क्‍या है कैंडिडा ऑरिस संक्रमण

  • कैंडिडा ऑरिस नाम का फंगस शरीर में प्रवेश करने पर ब्लडस्ट्रीम के जरिए फैलता है। इससे प्रभावित मरीज का बचना मुश्किल होता है।
  • इस फंगस पर ऐंटीफंगल दवाइयां बेअसर हैं। खतरनाक बात यह है कि मरीज की मौत के बाद भी यह फंगस जिंदा रहता है।
  • कैंडिडा ऑरिस यीस्ट का एक खतरनाक रूप है। इसे गंभीर मेडिकल कंडीशन वाले रोगियों के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है। यह रक्तप्रवाह में संक्रमण और यहां तक की मौत की वजह भी बन सकता है।
  • सीडीसी के मुताबिक बुखार और ठंड लगना कैंडिडा ऑरिस संक्रमण के सामान्‍य लक्षण हैं। चिंता की बात यह है कि संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक इलाज के बाद भी मरीज में सुधार नहीं होता है।
  • कैंडिडा ऑरिस मरीजों की पहचान में सबसे बड़ी दिक्‍कत आती है, यह जानना ज्यादा कठिन हो जाता है कि क्या किसी को कैंडिडा ऑरिस संक्रमण है या नहीं। यह ऐसा फंगस है जो आमतौर पर अस्पताल के वातावरण में मौजूद रहता है और कमजोर इम्यूनिटी के मरीजों को अपना शिकार बनाता है।
  • वैज्ञानिक यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कैंडिडा ऑरिस संक्रमण एंटीफंगल दवाओं के लिए प्रतिरोधी क्यों हैं और इस फंगस ने हाल के वर्षों में संक्रमण फैलाना क्यों शुरू किया है।
  • यह अक्सर बहु-दवा-प्रतिरोधी होता है। तात्‍पर्य यह है कि यह संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कई एंटिफंगल दवाओं के लिए प्रतिरोधी है।
  • सीडीसी का कहना है कि यह संक्रमण मरीजों से मरीजों में फैल रहा है। ये 2019 के विपरीत है, जब वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि इलाज के दौरान न्यूयॉर्क में तीन मरीजों में दवाओं का प्रतिरोध बना।
  • कैंडिडा ऑरिस के मामले भारत में पिछले 8 साल से सामने आ रहे हैं। हालांकि इसे गंभीरता से तब लिया गया जब यह यूएस में फैला।

gajendra tripathi

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