नई दिल्‍ली। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 (Citizenship Amendment Bill, 2019) को मंजूरी दे दी। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार की सुबह इस विधेयक के मसले पर मिजोरम के मुख्यमंत्री समेत पूर्वोत्तर राज्यों के कई राजनेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। बैठक के बाद असम के वित्‍त मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि विधेयक पर भ्रम की स्थितियों को दूर कर दिया गया है।  

इस विधेयक को अगले दो दिनों में संसद में पेश किया जा सकता है। केंद्रीय गृह मंत्री शाह पिछले कुछ दिनों से विभिन्न हितधारकों के साथ विधेयक के मसले पर बैठक कर रहे थे जो कि 100 घंटे से अधिक चली। शाह ने विधेयक के विभिन्न प्रावधानों के बारे में हितधारकों के साथ चर्चा की और इसके विभिन्न पहलुओं गर भ्रम दूर करने की कोशिश की। संसद से इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान के गैर मुस्लिम शरणार्थी भारत की नागरिकता हासिल कर सकेंगे। 

गौरतलब है कि भाजपा नेतृत्व ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक को अनुच्छेद 370 हटाने जितना ही महत्वपूर्ण बताया है। यही कारण है कि इस बिल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद में पेश किए जाने के दौरान सभी पार्टी सांसदों को सदन में मौजूद रहने के निर्देश जारी किए गए हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को इस विधेयक का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि संसद में कई अवसरों पर पार्टी सांसदों की गैरमौजूदगी खटकती है। राजनाथ ने उन आरोपों को खारिज किया जिनमें आरोप लगाया गया था कि नागरिकता संशोधन बिल “पंथ निरपेक्षता” के खिलाफ है। उन्होंने विधेयक को और स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत के तीन पड़ोसी इस्लामिक देश हैं जहां गैर मुसलमान धार्मिक आधार पर उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं, बहुसंख्यक मुसलमान नहीं।

विधेयक पर क्यों है विवाद?

इस विधेयक में गैरकानूनी प्रवासियों के लिए नागरिकता पाने का आधार उनके धर्म को बनाया गया है। इसी प्रस्ताव पर विवाद छिड़ा है क्योंकि अगर ऐसा होता है तो यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा जिसमें समानता के अधिकार की बात कही गई है।

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