अयोध्या। “राम मंदिर के मॉडल में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा। यह राम जन्मभूमि न्यास की ओर से प्रस्तावित मॉडल के अनुरूप ही बनेगा। गगनचुंबी मंदिर के नाम पर न्यास की ओर से प्रस्तावित मॉडल को खारिज किया जाना उचित नहीं है।” श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के सचिव चंपत राय ने शनिवार को जिलाधिकारी अनुज झा, राजा अयोध्या बिमलेंद्र मोहन मिश्र और डॉ. अनिल मिश्रा के साथ जन्मभूमि मंदिर परिसर का निरीक्षण करने के बाद यह बात कही।।
दरअसल, राम जन्मभूमि में
विराजमान श्री रामलला को गर्भगृह से हटाकर अस्थायी मंदिर में शिफ्ट करने की योजना है।
यह मंदिर फाइबर का होगा जिसके लिए अधिगृहीत परिसर में मानस भवन के दक्षिणी हिस्से में
प्रशासन ने नाप-जोख कराई है। छह दिसंबर 1992 की घटना के बाद से ही रामलला अस्थायी
टेंट में विराजमान हैं। जब तक मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो जाता, रामलला वर्तमान
स्थल से शिफ्ट होकर फाइबर के मंदिर में विराजेंगे।
राम जन्मभूमि क्षेत्र का निरीक्षण
करने के बाद कारसेवकपुरम् में मीडिया से बातचीत में चंपत रॉय ने कहा कि राम मंदिर के
मॉडल में बदलाव से राम मंदिर निर्माण में काफी समय लगेगा। जो लोग मॉडल बदलने की
बात करते हैं वे निर्माण अटकाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण के
लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में अकाउंट खोला जाएगा जिसमें लोग दान का राशि जमा कर
सकेंगे।
चंपत राय ने अधिकारियों को क्षेत्र की
सुरक्षा के लिए भी आगाह किया। उन्होंने कहा कि 2005 में आतंकवादियों ने राम जन्मभूमि
क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी, हालांकि वे अमने मंसूबे में कामयाब
नहीं हो सके और सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें मार गिराया था।
अयोध्या में भव्य श्रीराममंदिर का शिलान्यास अप्रैल महीने में संभावित है। चंपत राय ने बताया कि पहले आर्कियोलॉजी और आर्कीटेक्चर के विशेषज्ञ, इंजीनियर एक साथ बैठेंगे। जहां गर्भगृह बनना है, उस भूमि की मिट्टी का परीक्षण होगा और इसकी रिपोर्ट आने पर ही शिलान्यास संभावित है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि मंदिर का शिलान्यास तो 1989 में कामेश्वर चौपाल ने कर दिया था, जो तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य भी बनाए गए हैं। इसके बावजूद नए सिरे से निर्माण के पूर्व पूजन की परंपरा का पालन होगा।
राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य शुरू होने में अब देर नहीं है। इसलिए उससे पहले उन्हें टेंट से बाहर निकालने की तैयारी पूरी की जा चुकी है। इंजीनियरों की टीम ने इसके लिए अधिगृहीत परिसर में नाम जोख की है। रामलला को शिफ्ट करने की जगह को चिह्नित किया जा चुका है।
सरकार 67 एकड़ जमीन और उससे जुड़ी भूमि को मिलाकर नया राजस्व ग्राम “श्रीरामलला विराजमान” बनाने की तैयारी कर रही है। आसपास की कुछ और जमीनों के अधिग्रहण के बाद इसका पूरा क्षेत्र करीब 100 एकड़ तक हो सकता है। विहिप के सूत्रों का दावा है कि “श्रीरामलला विराजमान” राजस्व ग्राम अयोध्या नगर निगम में दर्ज होकर श्रीरामलला शहर हो जाएगा। इसकी कवायद शुरू हो चुकी है।
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