नई दिल्ली। सोमवार, 22 जुलाई 2019। यह तारीख भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गई। दोपहर 2:43 बजे भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में ऊंची छलांग लगाई। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी-मार्क तृतीय प्रक्षेपण यान से अंतरिक्ष यान “चंद्रयान-2” को लॉन्च कर भारत ने दुनिया को अपने दमखम का परिचय दे दिया। चांद और पृथ्वी के बीच की 3,84,000 किलोमीटर की दूरी पूरा करने में यान को कुल 48 दिन लगेंगे। उस दिन वह चांद के दक्षिणी हिस्से में उतरेगा।
इससे 20 घंटे पहले इतवार को जब “चंद्रयान-2” मिशन का काउंटडाउन शुरू हुआ था तब से इसरो समेत पूरा भारत इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए बेताब था।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसांधान संगठन (इसरो) के मुताबिक “चंद्रयान-2” मिशन के प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती रविवार सायं 643 बजे शुरू हुई थी। उल्टी गिनती के दौरान रॉकेट और अंतरिक्ष यान तंत्र की जांच की गई और उसमें ईधन भरा गया। यह परियोजना 978 करोड़ की है।
“चंद्रयान-2” के साथ जीएसेलवी-एमके तृतीय को पहले बीती 15 जुलाई को तड़के 2।51 बजे प्रक्षेपित किया जाना था। लेकिन, प्रक्षेपण से एक घंटा पहले एक तकनीकी खामी के पाए जाने के बाद प्रक्षेपक्ष स्थगित कर दिया गया था। इसरो ने बाद में 44 मीटर लंबे और लगभग 640 टन वजनी जियोसिंक्रोनाइज सैटेलाइट लांच व्हीकल- मार्क तृतीय (जीएसएलवी-एमके तृतीय) की खामी को दूर कर दिया। जीएसएलवी-मार्क तृतीय का उपनाम बाहुबली फिल्म के इसी नाम के सुपर हीरो के नाम पर बाहुबली रखा गया है।
इसे इसरो का सबसे मुश्किल अभियान माना जा रहा है। सफर के आखिरी दिन जिस समय रोवर समेत यान का लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा, वह समय भारतीय वैज्ञानिकों के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं होगा। खुद इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने इसे सबसे मुश्किल 15 मिनट कहा है। इस अभियान की महत्ता को इससे भी समझा जा सकता है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी अपना एक पेलोड इसके साथ लगाया है।
“चंद्रयान-2” की सफलता पर भारत ही नहीं, पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हैं। “चंद्रयान-1” ने दुनिया को बताया था कि चांद पर पानी है। अब उसी सफलता को आगे बढ़ाते हुए “चंद्रयान-2” चांद पर पानी की मौजूदगी से जुड़े कई ठोस नतीजे देगा। अभियान से चांद की सतह का नक्शा तैयार करने में भी मदद मिलेगी जो भविष्य में अन्य अभियानों के लिए सहायक होगा। चांद की मिट्टी में कौन-कौन से खनिज हैं और कितनी मात्रा में हैं, “चंद्रयान-2” इससे जुड़े कई राज खोलेगा। उम्मीद यह भी है कि चांद के जिस हिस्से की पड़ताल का जिम्मा “चंद्रयान-2” को मिला है, वह हमारी सौर व्यवस्था को समझने और पृथ्वी के विकासक्रम को जानने में भी मददगार हो सकता है।
Bareillylive : बरेली के प्राचीनतम एवं भव्यतम बाबा त्रिवटी नाथ मंदिर में श्री अन्नकूट महोत्सव…
Bareillylive : हिंदू सेना अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने श्री चित्रगुप्त चौक…
Bareillylive : दीपावली त्योहार के पावन अवसर पर रिजर्व पुलिस लाइन बरेली में दीपोत्सव कार्यक्रम…
Bareillylive : श्रीनगर, 2 नवंबर, केएनटी : कश्मीर की राजधानी श्रीनगर आज करीब 3 साल…
Bareillylive: मर्सी फॉर ऑल सोसाइटी संस्था के द्वारा ग्राम आसपुर खूबचंद, रिठौरा रोड, बरेली में…
Bareillylive : कवि गोष्ठी आयोजन समिति के तत्वावधान में रससिद्ध शायर पंडित देवी प्रसाद गौड़…