नई दिल्ली। चौतरफा दबाव के बाद अब चीन झुकता हुआ नजर आ रहा है। 22 जून को हुई कमांडर स्तर की बातचीत में चीनी पक्ष की तरफ से यह भरोसा दिया गया था कि वह सैनिकों को फ्रंट इलाके से पीछे हटाएगा। इसी के तहत गलवान इलाके में उसकी ओर से कुछ जवान और गाड़ियां पीछे हटाए गए हैं। सूत्रों के हवाले से यह जानकारी समाचार एजेंसी एएनआइ ने दी है।
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच लंबे समय से तनातनी चल रही है। 15 जून की रात गलवान घाटी में यह तनातनी चरम पर पहुंच गई और हिंसक झड़प का रूप ले लिया। उस सर्द रात में हुई झड़पों में 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे। इस दौरान चीन के भी 40 से अधिक सैनिक हताहत हुए थे लेकिन चीन ने इसे आधिकारिक तौर पर इसे स्वीकार नहीं किया। इसके बाद तनाव कम करने के लिए 22 जून को कोर कमांडर लेवल की बात हुई थी। इसमें चीन ने मौजूदा पोजीशन से अपने अपने सैनिकों को पीछे हटाने का आश्वासन दिया था।
पेंगोंग सो और गलवान घाटी के अलावा दोनों देश की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख के देमचोक, गोगरा हॉट स्प्रिंग और दौलत बेग ओल्डी में भी विवाद है। बड़ी संख्या में चीनी सेना के जवान वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की ओर आ गए थे। यह जानकारी देने वाले लोगों ने बताया कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई महत्वपूर्ण सेक्टरों पर सैनिकों की संख्या और हथियार दोनों बढ़ा दिए हैं।
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