प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने स्वामी चिन्मयानंद यौन उत्पीड़न मामले में ब्लैकमेलिंग केस में गिरफ्तारी पर रोक की छात्रा की अर्जी ठुकरा दी है। अदालत ने कहा कि यह स्पेशल बेंच है जो सिर्फ एसआईटी जांच की मॉनिटरिंग करेगी। गिरफ्तारी पर स्टे के लिए उसे अलग से नियमित कोर्ट में अर्जी दाखिल करनी होगी। हाईकोर्ट द्वारा इस मामले का स्वतः संज्ञान लिए जाने के बाद न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को यह आदेश पारित किया। हाईकोर्ट ने साफ किया कि वह निचली अदालत के कामों में दखल नहीं देगा।
पीड़ित छात्रा ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी लेकिन अदालत ने कहा कि यदि पीड़ित छात्रा इस संबंध में कोई राहत चाहती है तो वह उचित पीठ के समक्ष नई याचिका दायर कर सकती है। अदालत ने कहा कि यह पीठ इस मामले में केवल जांच की निगरानी करने के लिए नामित की गई है और गिरफ्तारी के मामले में रोक लगाने का कोई आदेश पारित करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। इस मामले की सुनवाई के समय पीड़ित छात्रा भी अदालत में मौजूद थी।
हाईकोर्ट के समक्ष पीड़ित छात्रा ने दूसरी प्रार्थना यह की थी कि मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज कराया गया बयान ठीक नहीं था और उसे नया बयान दर्ज कराने की अनुमति दी जाए लेकिन अदालत ने उसकी यह प्रार्थना भी स्वीकार नहीं की।
अदालत का कहना था कि नए बयान के लिए आवेदन में संबंधित मजिस्ट्रेट के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया गया है और न ही पीड़ित छात्रा का नया बयान दर्ज कराने के लिए कोई प्रावधान दर्शाया गया है। केवल यह आरोप लगाया गया है कि उसके बयान के प्रत्येक पेज पर उसके हस्ताक्षर नहीं लिये गए और केवल अंतिम पेज पर हस्ताक्षर लिये गए और उसका बयान दर्ज किए जाते समय एक महिला मौजूद थी। इस पर अदालत ने कहा कि उस महिला द्वारा किसी तरह का हस्तक्षेप किए जाने संबंधी आरोप न होने से ऐसा लगता है कि चैंबर में महिला की मौजूदगी केवल इसलिए थी ताकि पीड़ित छात्रा अपना बयान दर्ज कराने के दौरान सहज और सुरक्षित महसूस कर सके।
इससे पूर्व एसआईटी ने अदालत के समक्ष एक सीलबंद लिफाफे में जांच की प्रगति रिपोर्ट और केस डायरी पेश की। इस प्रगति रिपोर्ट का सारांश देखने के बाद अदालत ने पाया कि एसआईटी की जांच सही ढंग से चल रही है और पीड़ित छात्रा ने अपने आवेदन में एसआईटी द्वारा जांच में किसी तरह की अनियमितता का आरोप नहीं लगाया है।
हाईकोर्ट ने चिन्मयानंद मामले में एसआईटी की प्रगति रिपोर्ट पर संतोष जताया और आगे की रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 22 अक्तूबर 2019 की तारीख तय की।
इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2 सितंबर 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट को इस मामले की जांच की निगरानी का निर्देश दिया था और साथ ही पीड़िता छात्रा के परिवारीजनों की सुरक्षा को देखने को कहा था।
पांच करोड़ की रंगदारी से जुड़ा है मामला
गौरतलब है कि स्वामी चिन्मयानंद से पिछले दिनों 5 करोड़ रुपये की मांग की गई थी। इस मामले में छात्रा को भी आरोपी बनाया गया है। जानकारी के अनुसार यौन शोषण का आरोप लगाने से पहले छात्रा ने चिन्मयानंद से 5 करोड़ रुपये की मांग की थी। छात्रा के खिलाफ एसआईटी के पास पुख्ता सबूत होने का दावा किया जा रहा है। छात्रा का रिश्ते का भाई बताए जा रहे युवक समेत तीन लोगों बीते शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया था। अब छात्रा के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। गिरफ्तारी से बचने के लिए ही उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।