इस्‍लामाबाद। पूर्व राष्‍ट्रपति परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद पाकिस्तान में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है। सेना और अदालत आमने-सामने आ गई हैं। सेना ने अदालत के फैसले पर सवाल उठाए हैं।

दरअसल, यह विवाद सेना के एक पत्र से उत्‍पन्‍न हुआ है जो इस समय वायरल हो रहा है। इस पत्र से साफ लग रहा है कि परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा के फैसले को लेकर सेना में भारी नाराजगी है। सेना ने इस पर अभियान छेड़ रखा है और मुशर्रफ की वीरता की तारीफ की है। पाकिस्‍तान के डीजी आइएसपीआर ने इसको लेकर एक ट्वीट किया और एक पत्र जारी किया है। इस पत्र को सेना ने शेयर किया है। 

इस पत्र में कहा गया है कि पूर्व सेना प्रमुख, स्‍टाफ कमेटी के ज्‍वाइंट चीफ और पूर्व राष्‍ट्रपति जिन्होंने 40 वर्षों तक देश की सेवा की और कई अहम युद्धों में भाग हिस्‍सा लिया, वह गद्दार कैसे हो सकते हैं। इस पत्र के जरिए सेना ने मुशर्रफ का समर्थन किया है। सेना ने अदालत के फैसले पर भी सवाल उठाया है। सेना का तर्क है कि अदालत ने सजा देने की प्रक्रिया में पाकिस्‍तान के संविधान की अनदेखी की है। आत्‍मरक्षा का अधिकार का उल्‍लंघन किया गया है। इसमें मौलिक अधिकारों का उल्‍लंघन किया गया है। पत्र में कहा गया है कि हम उम्‍मीद करते हैं कि परवेज मुशर्रफ के साथ न्‍याय किया जाएगा।  आपको याद होगा कि देशद्रोह के मामले में परवेज मुशर्रफ को फांसी की सजा सुनाई गई है। उन पर नवंबर 2009 में आपातकाल लगाने का आरोप था। नवाज शरीफ की सरकार ने 2013 में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। मार्च 2016 से मुशर्रफ इलाज कराने के लिए दुबंई में हैं। उन्हें इस मामले में भगोड़ा घोषित किया गया है।

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