नई दिल्ली। लगता है दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में करारी हार के बावजूद भाजपा नेताओं ने कोई सबक नहीं लिया है। चुनाव के नतीजे आने के अगले ही दिन बुधवार को भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने विवादित बयान दिया। आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को इस महाविजय की बधाई देते-देते विजयवर्गीय फिर सीमा लांघ गए। केजरीवाल को सलाह दी कि वह दिल्ली के स्कूलों और मदरसों में हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कराएं। बजरंगबली की कृपा से दिल्ली के बच्चे क्यों वंचित रहें।
विजयवर्गीय ने ट्वीट किया, “अरविंद केजरीवाल जी को जीत की बधाई। निश्चित ही जो हनुमानजी की शरण में आता है उसे आशीर्वाद मिलता है। अब समय आ गया है कि हनुमान चालीसा का पाठ दिल्ली के सभी स्कूलों, मदरसों सहित सभी शैक्षणिक संस्थानों में भी जरूरी है। …बजरंगबली की कृपा से अब दिल्लीवासी बच्चे क्यों वंचित रहें?”
कैलाश विजयवर्गीय की टिप्पणी के बाद दिल्ली के उच्च शिक्षा मंत्री सिसौदिया ने पलटवार किया। उन्होंने कहा, “मैं खुद भी हनुमान चालीसा का पाठ रोजाना करता हूं। हमारे संविधान में सभी को अपने-अपने आराध्य की पूजा करने, अलग-अलग धर्मों को मनाने की स्वतंत्रता है। इस पद्धति पर किसी का अंकुश नहीं हो सकता। भाजपा की सोच-विचार में यही क्रूरता है कि वह सोचती है कि उसके हिसाब से सब चलें। भाजपा की इसी सोच के खिलाफ दिल्ली का मतदान हुआ है। दिल्ली का भाजपा पर तमाचा है। कैलाश विजयवर्गीय हमेशा हानिकारक बयानबाजी करते हैं।”
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल ने जमकर हनुमान भक्ति दिखाई। अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत पांच साल किए गए कामों के बखान के साथ शुरू करने वाले केजरीवाल मतदान से ठीक पहले बजरंगबली की शरण में पहुंच गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आरोपों से पार पाने के लिए वह जनसभाओं में हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए देखे गए। भाजपा जब भी उन पर आक्रामक होती, वह कनॉट प्लेस के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर पहुंच जाते। मंगलवार को चुनाव परिणाम आने के बाद भी केजरीवाल ने अपने पहले संबोधन में हनुमान जी का नाम लिया और सबसे पहले कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर में पूजा करने पहुंच गए।
हनुमान मंदिर की यात्राओं से केजरीवाल ने संकेत दे दिया है कि वह आगे भी सॉफ्ट हिंदुत्व के मुद्दे को अपने साथ जोड़े रहेंगे।