प्रयागराज। (Hearing on Corona Wars in Allahabad High Court) इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण और इससे होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि पर चिंता जताई है। तमाम उपायों के बावजूद कोरोना वायरस के बढ़ते हुए संक्रमण को देखते हुए हाईकोर्ट ने कहा, “हमारी राय में लॉकडाउन से कम कोई उपाय संक्रमण रोकने में कारगर साबित नहीं होगा। परिणाम के लिए हमें चयनित तरीके से सबकुछ बंद करना होगा ताकि बेवजह बाहर निकलने वाले लोगों को उनके घरों के भीतर रहने के लिए विवश किया जा सके।”
हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान इस बात पर नाराजगी भी जताई कि सरकार ने रोडमैप पेश कर संक्रमण रोकने के कदम उठाने का आश्वासन तो दिया लेकिन जिला प्रशासन बिना जरूरी काम के घूमने वालों और चाय-पान की दुकान पर भीड़ लगाने वालों पर नियंत्रण करने में नाकाम रहा। पुलिस ने बिना मास्क लगाए निकलने वालों और सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन न करने वाले लोगों पर जुर्माना लगाया और चालान काटा, फिर भी लोग जीवन की परवाह नहीं कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि ने हम नहीं समझते कि पखवाड़े भर के लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर ऐसा कुछ असर पड़ेगा कि लोग भूखों मरने लगेंगे। ब्रेड बटर और जीवन में चुनना हो तो जीवन ज्यादा जरूरी है।
तमाम उपायों के बावजूद कोरोना वायरस के बढ़ते हुए संक्रमण को देखते हुए हाईकोर्ट ने कहा, “हमारी राय में लॉकडाउन से कम कोई उपाय संक्रमण रोकने में कारगर साबित नहीं होगा। परिणाम के लिए हमें चयनित तरीके से सबकुछ बंद करना होगा ताकि बेवजह बाहर निकलने वाले लोगों को उनके घरों के भीतर रहने के लिए विवश किया जा सके।”
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा एवं न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने क्वारंटीन सेंटरों व अस्पतालों की हालत सुधारने की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। हाईकोर्ट ने कहा, “सुरक्षा बल की कमी के कारण हर गली में पुलिस पैट्रोलिंग नहीं की जा सकती। बेहतर है कि लोग स्वयं ही घरों में रहें। जरूरी काम होने पर ही बाहर निकलें।”
प्रदेश सरकार का पक्ष रख रहे अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना था कि लॉक डाउन लागू करना कानून के तहत दिए गए अनलॉक के आदेश के विपरीत होगा। सरकार के स्तर से फिर से लॉक डाउन की संभावना से इंकार किया जा चुका है।
हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को रोड मैप और कार्रवाई रिपोर्ट के साथ 28 अगस्त 2020 को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही उनसे पूछा है कि लॉकडाउन के बाद अनलॉक कर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कोरोना संक्रमण रोकने का कोई एक्शन प्लान तैयार किया गया था या नहीं। यदि प्लान था तो उसे ठीक से लागू क्यों नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार की ओर से समय-समय पर जारी आदेशों से साफ है कि कोई केंद्रीय योजना नहीं थी। अदालत ने मुख्य सचिव से यह भी बताने को कहा है कि एक्शन प्लान लागू करने में नाकाम अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।
हाईकोर्ट ने अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल से खराब क्वालिटी के मास्क की बिक्री पर जानकारी मांगी है। एएसजीआई शशि प्रकाश सिंह ने कोरोना आईसीयू वार्ड में डॉक्टर और स्टाफ की तैनाती की गाइडलाइन पेश की। हाईकोर्ट ने प्रदेश के सात जिलों-लखनऊ, कानपुर नगर, प्रयागराज, वाराणसी, बरेली, गोरखपुर और झाँसी की स्थिति का जायजा लिया।
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