चेन्नई। (Portable hospital for treatment of Corona virus) देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई अस्पतालों को कोविड अस्पताल में तब्दील कर दिया गया हैं, यहां तक कि भारतीय रेलवे ने ट्रेनों के हजारों कोचों को कोरोना वायरस के इलाज की जरूरतों के हिसाब से तैयार किया है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए भारतीय प्रौद्योगी संस्थान, मद्रास (Indian Institute of Technology, Chennai) और स्टार्ट-अप मॉड्युलस हाउसिंग ने एक पोर्टेबल हॉस्पिटल (मेडिकैब) डेवलप किया है। इसे सिर्फ 8 घंटे में 4 लोग कहीं भी तैयार कर सकते हैं। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में पोर्टेबल हॉस्पिटल मेडिकैब गेमचेंजर साबित हो सकता है। इसके जरिए स्थानीय स्तर पर खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस मरीजों का पता लगाने, स्क्रीनिंग करने, आइसोलेशन और इलाज में मदद मिलेगी।
इस पोर्टेबल अस्पताल को हाल ही में केरल के वायनाड में लॉन्च किया गया था जहां इसकी यूनिट्स को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए लगाया गया। ऐसे माइक्रो हॉस्पिटल डेवलप करने के पीछे मकसद स्मार्ट हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को डेवलप करना था जिसे पूरे देश में शहर या गांव कहीं भी आसानी से ऑपरेट किया जा सके।
मेडिकैब को पूरी तरह से फोल्डेबल और 4 जोन के साथ बनाया गया है। इसमें 1 डॉक्टर रूम, 1 आइसोलेशन रूम, 1 मेडिकल रूम/वार्ड और 2 बेड वाला आईसीयू शामिल है। इसे 4 लोग मिलकर करीब 8 घंटे में तैयार कर सकते हैं। फोल्डेबल होने की वजह से इसके ट्रांसपोर्टेशन में भी कम खर्च आता है। आईआईटी ने गुरुवार को बताया कि केरल में ये डिप्लॉयमेंट हैबिटेट फॉर ह्यूमैनिटीस टेरविल्लिगर सेंटर फॉर इनोवेशन इन शेल्टर के ग्रांट के साथ किया गया। स्टार्टअप के लिए श्री चित्रा इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंजेस एंड टेक्नोलॉजी (एससीटीआईएमएसटी) से कोलैबोरेशन किया गया। इससे प्रोजेक्ट को सर्टिफिकेशन और कस्टमाइजेशन के इनपुट लेने में मदद मिली।
मॉड्यूलस हाउसिंग के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर श्रीराम रविचंद्रन ने बताया कि केरल में इस पायलट प्रोजेक्ट के नतीजों से तकनीक के फायदे और माइक्रो हॉस्पिटल की मौजूदा समय में जरूरत को समझा जा सका। मेडिकैब को एक जरूरी और तत्काल तैयार होने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर के तौर पर साबित करने में भी मदद मिली। कोरोना वायरस जैसी महामारी के समय स्क्रीनिंग और इलाज के लिए स्मार्ट हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की बहुत जरूरत है।
श्रीराम रविचंद्रन ने कहा कि शहरों में तो बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर था जिसे आसानी से हॉस्पिटल में बदला जा सकता था लेकिन ग्रामीण इलाकों में हर जगह ऐसा करना संभव नहीं है। गांवों में जरूरत के हिसाब से कम समय में बिल्डिंग बनाना किसी चुनौती से कम नहीं है। ऐसे जगहों पर मेडिकैब के जरिए कोरोना वायरस जैसी महामारी से लड़ने में मदद मिल सकती है।
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