प्रयागराज। क्षमता से अधिक बंदियों/कैदियों का बोझ ढो रहे देश के कारगारों में भी कोरोना वायरस संक्रमण फैलने की आशंका के चलते ऐसे लोगों को बचाने के प्रयास तेज हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने सभी जिला जजों को सभी विचाराधीन बंदियों को जमानत पर छोडऩे का निर्देश दिया है। इनकी पैरोल पर रिहाई होगी। आठ सप्ताह के बाद इनको स्वत: ही वापसी करनी होगी।
कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा गहराने के कारण के उत्तर प्रदेश सरकार ने विचाराधीन बंदियों की रिहाई का फैसला किया है। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के जारी समादेश के पालन में किया गया है। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने प्रदेश के सभी जिला न्यायाधीशों /जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्षों से अनुरोध किया है कि विचाराधीन कैदियों को अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहाई की व्यवस्था करें। प्राधिकरण ने सभी जिला जजों से विचाराधीन बंदियों/कैदियों की को आठ महीने की जमानत देने का अनुरोध किया है। इनको पैरोल पर रिहा किया जाएगा और अवधि पूरी होने पर इन सभी को समर्पण करना होगा।
यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश से गठित हाई पावर कमेटी के निर्देशानुसार जारी किया गया है। हाई पावर कमेटी में उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष, अपर मुख्य सचिव गृह व डीजीपी कारागार उत्तर प्रदेश शामिल हैं। 27 मार्च 2020 को हाई पावर कमेटी के निर्णय के अनुसार (विदेशी नागरिकों को छोड़कर) उन सभी विचाराधीन कैदियों, जिन्हें अधिकतम सात वर्ष तक की सजा के अपराध में जेलों में रखा गया है, सभी को आठ सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा किया जाएगा। इस कार्य के लिए सत्र न्यायाधीश, अपर सत्र न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेटों सहित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जेल में जाकर बंदियों/कैदियोंका व्यक्तिगत बांड लेंगे कि वह सभी 8 सप्ताह की अवधि पूरी होने के बाद अदालतों में समर्पण करेंगे और उनसे जमानत अर्जी प्राप्त कर जमानत पर रिहा करने की व्यवस्था करेंगे।
कमेटी ने यह भी निर्णय लिया कि अंतरिम जमानत देने के लिए जेल स्टाफ, जेल पैरा लीगल वालंटियर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिवक्ता पैनल की मदद ली जाएगी। प्रदेश स्तरीय अंडर ट्रायल रिव्यू कमेटी सप्ताह में एक बैठक कर इस संबंध में जिला अथारिटी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत दिशानिर्देश जारी करती रहेगी। संबंधित जेल अधीक्षक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव के संपर्क में रहेंगे। यह भी कहा गया है कि स्टेट लीगल मॉनिटरिंग टीम को अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा होने वालों की प्रतिदिन सूचना भेजी जाए, जो कि मामले की मानिटरिंग कर रही है।
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