वाशिंगटन। (clinical trial of Ayurvedic medicines to begin in America) आयुर्वेद भारत की महान प्राचीन चिकित्सा पद्धति थे। आज से हजारों साल पहले जब यूरोप और अमेरिका के लोग आदिम (जंगली) जीवन जीते थे, उस समय भी भारत में वैद्य इसकी मदद से असाध्य रोगों का इलाज किया करते थे। हालांकि आज देश में ही तमाम लोग आर्युवेद का मजाक उड़ाने का मौका ढूंढते रहते हैं। ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, जब पतंजलि को कोरोना वायरस के इलाज का दावा करने पर राजनीतिक हमलों का सामना करना पड़ा था। दूसरी ओर यूरोप से लेकर अमेरिका तक आयुर्वेद पर शोध हो रहे हैं। भारत और अमेरिका में आयुर्वेदिक चिकित्सक और शोधकर्ता कोरोना वायरस से बचाव के लिए आयुर्वेदिक दवाओं का संयुक्त क्लिनिकल परीक्षण शुरू करने की योजना बना रहे हैं।
अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने बुधवार को यह जानकारी दी। प्रतिष्ठित भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिकों, विद्वानों और डॉक्टरों के समूह के साथ डिजीटल संवाद में संधू ने कहा कि संस्थागत भागीदारी के व्यापक नेटवर्क से कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में दोनों देशों के वैज्ञानिक समुदाय एक साथ आ गए हैं। उन्होंने कहा, “हमारे संस्थान संयुक्त शोध, शिक्षण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिए आयुर्वेद का प्रचार करने के लिए एक साथ आ गए हैं।” दोनों देशों के आयुर्वेदिक चिकित्सक और शोधकर्ता कोरोना वायरस के खिलाफ बचाव के लिए आयुर्वेदिक दवाओं का संयुक्त क्लिनिकल परीक्षण शुरू करने की योजना बना रहे हैं। इसी क्रम में संधू ने आगे कहा, “हमारे वैज्ञानिक इस मोर्चे पर ज्ञान और अनुसंधान के संसाधनों का आदान-प्रदान कर रहे हैं।”
भारतीय राजदूत ने कहा कि भारतीय दवा कंपनियां किफायती दवाएं और टीके बनाने में अग्रणी हैं और इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाएंगी। संधू के अनुसारस, अमेरिका स्थित संस्थानों के साथ भारतीय दवा कंपनियों की कम से कम तीन साझेदारी चल रही हैं। उन्होंने कहा कि इससे न केवल भारत और अमेरिका को फायदा मिलेगा बल्कि दुनियाभर के उन अरबों लोगों को भी लाभ मिलेगा जिन्हें कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीके की जरूरत है।