नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए पूरे देश में लागू किए गए संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान कुछ लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे। कोई बेवजह सड़कों पर घूम रहा है तो कहीं उन्मादी भीड स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला कर रही है। लॉकडाउन का पालन कराने में पुलिस के भी पसीने छूट रहे हैं। हालत यह है कि राजधानी दिल्ली में लॉकडाउन लागू कराने के लिए अर्द्धसैन्य बलों के 10 हजार जावन तैनात करने का आदेश देना पड़ा। इसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को लॉकडाउन के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई करने को कहा है।
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कहा है कि डीएम अधिनियम और आईपीसी के तहत दंडात्मक प्रावधानों को व्यापक रूप से परिचालित किया जाए। लॉकडाउन का उल्लंघन किए जाने पर कानून प्रवर्तन अधिकारी डीएम अधिनियम और आईपीसी के प्रावधानों के तहत कार्रवाई कर सकेंगे। इसमें जेल की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
पत्र में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति बिना किसी कारण के किसी अधिकारी, जो केंद्र या राज्य द्वारा तैनात किया गया हो, के कामकाज में बाधा डालता है या उसका कहना नहीं मानता है तो उसे एक साल की सजा या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। यदि उस व्यक्ति की गलती के चलते दूसरे लोगों की जान खतरे में पड़ती है तो उस हालत में सजा दो साल तक बढ़ाई जा सकती है।
कोरोना वायरस की दवा बनाने या उसका इलाज करने का फर्जी दावा करने वाले लोगों पर भी अब कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में दो साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
कोई व्यक्ति अगर केंद्र, राज्य सरकार, राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण और राज्य आपदा प्राधिकरण के किसी अधिकारी को जानबूझकर गुमराह करने का प्रयास करता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
कोई कर्मचारी सब कुछ जानते हुए भी यह झूठा दावा करे कि वह फलां जगह की स्थिति के बारे में अच्छी तरह जानता है जबकि वहां की स्थिति बिल्कुल उलट होती है तो ऐसे कर्मचारी को दो साल की सजा भुगतने के साथ ही जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
कोरोना वायरस के खिलाफ इस जंग में अगर कोई कर्मचारी जानबूझकर सरकारी फंड का दुरुपयोग करता है या किसी दूसरे व्यक्ति से कराता है तो उसे कड़ी सजा मिलेगी। इसमें दो साल की कैद और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
यदि कोई व्यक्ति कोरोना वायरस के चलते लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान बिना किसी कारण के चेतावनी जारी कर लोगों में भय का माहौल पैदा कर देता है तो पकड़े जाने पर उसे एक साल की सजा और जुर्माना भरना होगा।
यह भी प्रावधान किया गया है कि उपरोक्त दिए गए नियमों को अगर कोई सरकारी विभाग तोड़ता है, तो उसका जिम्मेदार संबंधित विभागाध्यक्ष माना जाएगा। उसके खिलाफ तब तक कार्रवाई जारी रहेगी, जब तक वह यह साबित न कर दे कि ये काम उसकी जानकारी के बिना हुआ है।
अगर इस तरह का अपराध उस कार्यालय के किसी दूसरे अधिकारी ने किया है और वह साबित हो जाता है तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होगी।
कोई अधिकारी जिसे ड्यूटी दी गई है लेकिन वह उसे पूर्ण तरीके से नहीं निभाता है या उसका कोई बहाना बना देता है और अपने वरिष्ठ अधिकारी की इजाजत के बिना ऐसा करता है तो उसे एक साल की सजा मिलेगी, जुर्माना भी हो सकता है।
यदि कोई अधिकारी जिसे किन्हीं विशेष आदेशों के द्वारा नियुक्त किया गया है और उसने उपरोक्त किन्हीं नियमों का उल्लंघन किया है तो उसके खिलाफ बिना राज्य सरकार या केंद्र की इजाजत के कानूनी प्रकिया शुरू नहीं की जा सकती।