मुंबई : कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की मौत होने पर उनका अंतिम संस्कार करना भी एक बड़ी चुनौती बन गया है। संक्रमण फैलने के डर से चीन में कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों के शवों को जलाया जा रहा है। पाकिस्तान कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के इंतजाम करने के बजाय कोरोना से मरने वालों के लिए एडवांस में कब्रें खोद रहा है, तो इधर भारत में भी कम परेशान नहीं हो रही है। दिल्ली में संक्रमण से मरे एक बुजुर्ग के अंतिम संस्कार को लेकर भारी खींचतान हुई थी और अब मामला मुंबई का है। मुंबई में कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से मरे व्यक्ति के शव को दफनाने से कब्रिस्तान वालों ने मना कर दिया। इस पर बुजुर्ग का श्मशान में दाह संस्कार किया गया।
मलाड स्थित मालवानी के कलेक्टर परिसर में रहने वाले 65 वर्षीय कोरोना वायरस मरीज की मौत बुधवार तड़के जोगेश्वरी स्थित निगम द्वारा संचालित अस्पताल में हो गई थी जिसके बाद शव को दफनाने के लिए मलाड के कब्रिस्तान ले जाया गया था। इस बुजुर्ग के परिवार वालों ने आरोप लगाया है कि शव को कब्रिस्तान के न्यासियों ने दफनाने से इन्कार कर दिया जिसके बाद उसका अंतिम संस्कार हिंदू श्मशान घाट पर किया गया। यह घटना बुधवार की बताई जा रही है। मृतक के परिवार के सदस्यों में से एक ने आरोप लगाया कि महानगरपालिका ने बुधवार तड़के 4 बजे शव को दफनाने की इजाजात दे दी थी, फिर भी ऐसा हुआ।
परिवार के एक सदस्य ने कहा कि स्थानीय पुलिस और एक राजनेता ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की और उन्होंने दफनाने के लिए ट्रस्टियों यानी न्यासियों से गुहार भी लगाई मगर तब भी वे नहीं माने। इसके बाद कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हस्तक्षेप किया और मुस्लिम परिवार से नजदीक के हिंदू श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करने का अनुरोध किया। इस पर परिवार वाले मान गए और तब जाकर सुबह 10 बजे वृद्ध का अंतिम संस्कार किया गया।
इस बारे में जानकारी लेने परमहाराष्ट्र सरकार में व मालवानी विधायक असलम शेख ने कहा कि सरकार के गाइडलाइन्स के मुताबिक, अगर किसी मुस्लिम शख्स की मौत कोरोना वायरस के संक्रमण से हो जाती है तो उसके शव को उस स्थान के नजदीक स्थित कब्रिस्तान में दफनाया जाना चाहिए, जहां मरीज का निधन हुआ हो। मगर इस मामले में मृतक के परिवार के लोग शव को सीधे मलाड मालवानी कब्रिस्तान लेकर पहुंच गए। उन्होंने कब्रिस्तान के न्यासियों सहित किसी को भी इस बारे में सूचना नहीं दी थी और फिर शव को दफनाने की मांग करने लगे।
उन्होंने कहा कि इस मामले से जुड़े निकाय कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी जिन्होंने सरकारी गाइडलाइन्स के बावजूद शव को मलाड मालवानी कब्रिस्तान ले जाने दिया। उन्होंने यह भी कहा कि एक दिन पहले ही यहां एक अन्य शख्स को दफनाया गया था जिसकी मौत कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण हुई थी।
मृतक के बेटे ने कहा कि मेरे पिता को अस्पताल में मृत घोषित किए जाने के बाद कोई भी मेरी मदद करने नहीं आया। मैं तीन घंटे से अधिक समय तक अस्पताल के बाहर शव के पास बैठा रहा। हम चाहते थे कि शव को मलाड मालवानी कब्रिस्तान में दफनाया जाए। मगर जब हम वहां पहुंचे, न्यासियों ने यह कहकर हमें शव दफनाने से मना कर दिया कि वे कोरोना वायरस से संक्रमित थे। पुलिस और अन्य अधिकारियों के दखल देने के बाद शव का हिंदू के श्मशान स्थल पर अंतिम संस्कार किया गया।
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