नई दिल्ली। दीपिका पादुकोण के जेएनयू परिसर में जाने के साथ ही विवादों में फंसी फिल्म “छपाक” अब कानूनी पचड़े में फंस गई है। रिलीज से एक दिन पहले पीड़िता लक्ष्मी (जिस पर “छपाक” आधारित है) की वकील अर्पणा भट्ट ने पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दाखिल कर फिल्म पर रोक लगाने की मांग की है। गौरतलब है कि इससे पहले बुधवार को बांबे हाईकोर्ट ने कहा था कि कोई भी व्यक्ति सच्ची घटनाओं से प्रेरित किसी कहानी पर कॉपीराइट का दावा नहीं कर सकता।
अर्पणा भट्ट ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कहा है कि वह एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी की कई सालों तक वकील रही हैं लेकिन फिल्म में उन्हें कोई क्रेडिट नहीं दिया गया। वहीं राकेश भारती नामक एक लेखक ने बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया था कि मूल रूप से उन्होंने एसिड हमले की एक पीड़ित के जीवन पर कहानी लिखी थी। मेघना गुलज़ार द्वारा निर्देशित “छपाक” भी एसिड हमले की एक पीड़िता के जीवन पर आधारित है। अपनी याचिका में भारती ने फिल्म के लेखकों में से एक के रूप में श्रेय दिए जाने और 10 जनवरी 2020 को फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की थी।
दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एससी गुप्ते ने प्रथमदृष्टया टिप्पणी की कि ऐसी कहानियों पर कॉपीराइट का दावा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “यह एक वास्तविक घटना है। जब कहानी का स्रोत समान हो तो कोई भी कॉपीराइट का दावा नहीं कर सकता। सिर्फ इसलिए कि कोई व्यक्ति वास्तविक घटना पर कहानी लिख रहा है या लिख चुका है, इसका मतलब यह नहीं है कि कोई और ऐसा नहीं कर सकता है।”
हाईकोर्ट ने कहा, “आप (भारती) एक वास्तविक घटना पर एकाधिकार का दावा कर रहे हैं। ऐसी कहानियों पर कॉपीराइट देना असंभव है।” भारती के वकीलों गिरीश गोडबोले और अशोक सरोगी ने तब हाईकर्ट से कहा कि वे आज फिल्म की रिलीज पर रोक के जरिए अंतरिम राहत नहीं मांग रहे हैं। वकीलों ने कहा कि वे कॉपीराइट उल्लंघन पर आगे भी दलीलें देंगे और “छपाक” प्रदर्शित होने के बाद स्क्रिप्ट की तुलना करेंगे। हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया। मामले में अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी।