नई दिल्ली। वक्त की मार कितनी जालिम होती है, इसे कांग्रेस से बेहतर कौन जान सकता है। कभी पूरे देश पर राज करने वाली कांग्रेस अब नगर निगम चुनाव में अपनी तकदीर तलाशेगी। लगातार दो लोकसभा चुनावों में करारी मात मिलने के साथ ही उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्यों में कई दशकों से सत्ता के लिए तरस रही कांग्रेस देश के दिल दिल्ली में 2015 के बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में भी बुरी तरह हार गई है। यह हार कितनी बड़ी है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दोनों बार उसका खाता तक नहीं खुला। खासकर इस बार तो उसके सभी प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई। अब कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि इस चुनाव में हार से पार्टी निराश नहीं बल्कि इससे सीख लेगी और ज्यादा मेहनत कर दो साल बाद होने वाले दिल्ली नगर निगम चुनाव में वापसी करेगी।
मंगलवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार तय होने के साथ ही कांग्रेस अलाकमान ने सफाई पेश करने के लिए दिल्ली प्रभारी पीसी चाको, प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा, प्रचार समिति के अध्यक्ष कीर्ति आजाद और संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला को आगे कर दिया। पार्टी मुख्यालय में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में इन नेताओं ने कहा कि इस हार से पार्टी नेता और कार्यकर्ता हताश नहीं हैं। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने चुनाव के दौरान पूरा परिश्रम किया है लेकिन शायद लोगों तक अपनी बात पहुंचाने में असफल रहे इसलिए चुनाव नतीजे अनुकूल नहीं रहे।
चाको ने कहा कि हार से सीख लेकर पार्टी को मजबूत करेंगे। कांग्रेस की इस करारी हार के बावजूद चाको भाजपा के दिल्ली की सत्ता में नहीं आने को लेकर खुश नजर आये। कहा- इस चुनाव में दिल्ली की जनता ने ध्रुवीकरण की राजनीति करने तथा करंट लगाओ और गोली मारने की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी को जिस तरह से खारिज किया है और विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को करारी शिकस्त दी है वह उसका स्वागत करते हैं।
सुभाष चोपड़ा ने कहा कि आप ने 192 करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च किया है और दिल्ली की जनता को बताया कि उसने क्या काम किया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने काम तो जमीन पर कुछ नहीं किया लेकिन विज्ञापन देकर लोगों के बीच काम करने के सिर्फ खोखले दावे किए हैं जिन पर दिल्ली की जनता ने यकीन किया और उन्हें फिर से सत्ता सौंप दी है लेकिन असलियत यह है कि पिछले तीन माह के दौरान प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उन्होंने दिल्ली की दुर्दशा को बहुत करीबी से देखा है। उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष के रूप में उन्होंने पूरी मेहनत की है और इस दौरान उन्हें सबका सहयोग मिला है लेकिन चुनाव में पार्टी की हार हुई है और वह उसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हैं। चुनाव में हार से पार्टी निराश नहीं बल्कि इससे सीख लेगी तथा ज्यादा मेहनत कर दो साल बाद होने वाले नगर निगम चुनाव में वापसी करेगी और दिल्ली में फिर मजबूती के साथ खड़े होंगे।
रणदीप सुरजेवाला का कहना था कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं ने असीम मेहनत की, फिर भी हम हार गए। इस हार को हम स्वीकार करते हैं। हम कांग्रेस को फिर से मजबूत करने का संकल्प लेते हैं।
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