नई दिल्ली। दिल्ली में इसी साल फरवरी में हुए सांप्रदायिक दंगों के सिलसिले में पुलिस ने जो आरोपपत्र (charge sheet) दाखिल किया है उसमें कहा गया है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के दौरान भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, माकपा नेता बृंदा करात और पूर्व संसद उदित राज शामिल थे।
पुलिस ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों से संबंधित मामले में कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां और सुरक्षा प्राप्त एक गवाह का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने अपने बयानों में इन भाषणों का खुलासा किया है।
चार्जशीट में कहा गया है कि सुरक्षा प्राप्त गवाह ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के तहत रिकॉर्ड किए अपने बयान में कहा है कि कई जाने-माने लोग मसलन उदित राज, सलमान खुर्शीद, बृंदा करात खुरेंजी स्थित प्रदर्शन स्थल पर आए थे और भड़काऊ भाषण दिए। गवाह ने कहा कि सीएए, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ भाषण देने उदित राज, सलमान खुर्शीद, बृंदा करात, उमर खालिद जैसे कई जाने-माने लोग खुरेंजी वाले प्रदर्शन स्थल पर आया करते थे।
चार्जशीट में आगे कहा गया है कि इशरत जहां ने अपने बयान में आरोप लगाया कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों को जारी रखने के लिए सलमान खुर्शीद, फिल्मकार राहुल रॉय और भीम आर्मी के सदस्य हिमांशु जैसे लोगों को उन्होंने और खालिद सैफी ने जामिया समन्वय समिति (जेसीसी) के निर्देशों पर बुलाया था।
इशरत जहां ने कहा कि प्रदर्शन को लंबे समय तक जारी रखने के लिए उसने और खालिद सैफी ने जेसीसी के निर्देशों पर सलमान खुर्शीद, राहुल रॉय, भीम आर्मी के सदस्य हिमांशु, चंदन कुमार को बुलाया। उन्होंने भड़काऊ भाषण दिए जिसके कारण प्रदर्शन में बैठे सभी लोग सरकार के खिलाफ गुस्से से भर जाते थे।
खालिद सैफी ने बयान में कहा है कि जनवरी 2020 में हुए सीएए-विरोधी प्रदर्शनों में स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव, वकील प्रशांत भूषण और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद भी भाषण देने आते थे। खालिद सैफी का पूरक बयान जो चार्जशीट का भी हिस्सा है, उसमें कहा गया है कि प्रदर्शनों को लंबे समय तक जारी रखने के लिए कई जाने-माने लोग जैसे कि सलमान खुर्शीद, जेएनयू के छात्र शरजील इमाम और जेसीसी सदस्य मीरान हैदर को खुरेजी प्रदर्शन स्थल पर बुलाया जाता था।
उत्तर-पूर्व दिल्ली में 23 से 27 फरवरी के बीच दंगे हुए थे जिसमें आधिकारिक तौर पर 53 लोग मारे गए थे। 13 जुलाई को दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था जिसके मुताबिक इस दंगे में 40 मुसलमान और 13 हिंदू मारे गए थे। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने अब तक कुल 751 एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने जांच से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करने से इन्कार कर दिया था और कहा था कि इसमें कई संवेदनशील जानकारियां हैं जिन्हें वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया जा सकता।
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