नई दिल्ली। इंजीनियरिंग और तकनीक जैसे विषयों में डिप्लोमा कर चुके छात्र-छात्राओं को अब लैटरल एंट्री से बीई (Bachelor of Engineering) या बीटेक (Bachelor of Technology) जैसे अंडर ग्रेजुएट इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों (Undergraduate engineering courses) में आसानी से प्रवेश मिल सकेगा। कोई भी तकनीकी संस्थान इनको प्रवेश (Admission) देने से इन्कार नहीं कर सकेगा। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई, AICTE) ने इसे लेकर पहले से प्रचलित नियमों को और सख्त कर दिया है। साथ ही सभी राज्य सरकारों और विश्वविद्यालयों को इसका सख्ती से अमल कराने के निर्देश भी दिए है।
एआईसीटीई के नियमों के तहत फिलहाल सभी तकनीकी संस्थानों को डिप्लोमाधारी छात्र-छात्राओँ को बीई या बीटेक जैसे अंडर ग्रेजुएट कोर्स में लैटरल एंट्री के जरिये एडमिशन देने का प्रावधान है। इसके तहत इन छात्र-छात्राओँ को सीधे दूसरे वर्ष में प्रवेश दिया जा सकता है लेकिन ज्यादातर तकनीकी संस्थान इनको प्रवेश देने से इन्कार कर देते थे। हाल ही में एआईसीटीई ने इन छात्र-छात्राओँ की समस्याओं को समझा और इसका उचित निराकरण किया है। इसके तहत लैटरल एंट्री के प्रवेश के नियमों को अब प्रत्येक तकनीकी संस्थान के लिए मानना अनिवार्य होगा। खाली पड़ी सीटों पर इन छात्र-छात्राओं को प्रवेश देना ही होगा।
एआईसीटीई ने इसके साथ ही सभी राज्य सरकारों और विश्वविद्यालयों को भी कह है कि वे अपने अधीन सभी संस्थानों में इस नियम का पालन सुनिश्चित कराने के दिशा-निर्देश दें। एआईसीटीई ने इसके साथ ही यहा भी कहा है कि यदि कोई संस्थान इसे मानने से इन्कार करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी जाएगी।
बीई और बीटेक में लैटरल एंट्री से प्रवेश से जुड़े नियमों को एक बार फिर से स्पष्ट किया गया है। इसमें कहा गया है कि 45 प्रतिशत (आरक्षित वर्ग के लिए 40 प्रतिशथ) से ज्यादा अंक पाने वाले डिप्लोमाधारी छात्र-छात्राएँ इसके लिए पात्र होंगे। वे इंजीनियरिंग के किसी भी ब्रांच से हो सकते हैं। इसी तरह बीएससी पास विद्यार्थी जिनके अंक 45 प्रतिशथ से ज्यादा है, वे भी इनमें प्रवेश के लिए पात्र होंगे, बशर्ते 12वीं में उन्होंने गणित की पढ़ाई की हो।