नई दिल्ली। कोरोना वायरस (कोविड-19) को लेकर दुनियाभर में फैली दहशत और भ्रम को दूर करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) एक बार फिर आगे आया है। उसने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह बनने वाला वायरस मुख्य रूप से श्वसन की छोटी बूंदों (Micro drops) और निकट संपर्कों के माध्यम से फैलता है लेकिन ये वायरस हवा में लंबे समय तक जीवित नहीं रहता। मौजूदा सबूत के आधार पर WHO ने कोरोना वायरस मरीजों की देखभाल कर रहे लोगों को खांसने या छींकने से बाहर आने वाली सूक्ष्म बूंदों (Micro drops) और नजदीकी संपर्क (Close contact) को लेकर सावधानियां बरतने की सलाह दी है।
दरअसल, कोरोना वायरस को लेकर ये भ्रम है कि यह मरीज की श्वसन बूंदों से फैल सकता है और हवा में कई घंटों तक जीवित रह सकता है। शुक्रवार को दिए अपने बयान में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अर्ध सत्य करार दिया और बताया कि यह वायरस हवा में लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता।
ताजा बयान में कहा गया है कि श्वसन संक्रमण विभिन्न आकारों की सूक्ष्म बूंदों के माध्यम से फैल सकता है। छींक आदि कणों से संक्रमण (Droplet transmission) तब होता है जब आपका निकट संपर्क उस व्यक्ति के साथ एक मीटर के भीतर होता है जिसमें खांसी या छींकने जैसे श्वसन संबंधी लक्षण होते हैं। इस दौरान आपके शरीर में इन सूक्ष्म बूंदों (Micro drops) के जरिये वायरस प्रवेश कर सकता है। इनका आकार आमतौर पर 5-10 माइक्रॉन होता है।
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि संक्रमित व्यक्ति के आसपास के वातावरण में सतहों या वस्तुओं को छूने से भी यह संक्रमण फैल सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है हवा में फैलने वाला संक्रमण Droplet transmission से अलग है क्योंकि यह सूक्ष्म बूंदों के भीतर जीवाणुओं की मौजूदगी को दिखाता है और ये जीवाणु आम तौर पर व्यास में पांच माइक्रॉन से कम के छोटे कण के रूप में होते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार चीन में कोरोना वायरस के 75,465 मरीजों के विश्लेषण में हवा से संक्रमण का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। मौजूदा सबूत के आधार पर डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस मरीजों की देखभाल कर रहे लोगों को खांसने या छींकने से बाहर आने वाली सूक्ष्म बूंदों और नजदीकी संपर्क से सावधानियां बरतने की सलाह दी है।