बर्लिन। एक दिन पहले ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले के प्राचीर से राष्ट्र के नाम संबोधन में प्लास्टिक प्रदूषण पर गहरी चिंता जताई थी और शुक्रवार को उन सभी लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें गहरा गईं जो प्रकृति और पर्यावरण से प्यार करते हैं। एक अध्ययन में यह चिंताजनक बात निकल कर सामने आई है। इसमें बताया गया है कि आसमान से बर्फ के साथ प्लास्टिक नैनो कण भी गिर रहे हैं। यानी बर्फ के साथ प्लास्टिक भी हमारे ऊपर गिर रहा है।
यह स्थिति आर्कटिक और आल्प्स जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में भी है। जर्मनी में अल्फ्रेड वेगेनर इंस्टीट्यूट (एडब्ल्यूआइ) के शोधकर्ताओं ने पाया है कि प्लास्टिक के नौनो कण बहुत दूर वायुमंडल में फैल जाते हैं और इसके बाद बर्फ गिरने पर यह उनके साथ धरती पर आ जाते हैं। शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन हेल्गोलैंड (जर्मन द्वीप), बवेरिया (जर्मनी), ब्रेमेन, स्विस आल्प्स और आर्कटिक क्षेत्र से जुटाए गई बर्फ पर किया। इसमें पाया कि यहां कि बर्फ में प्लास्टिक के सूक्ष्म कण उच्च स्तर पर मौजूद हैं।
साइंस जर्नल में प्रकाशित हुए इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाले मेलानी बर्गमैन ने बताया कि इतनी दूर के वातावरण में प्लास्टिक के सूक्ष्म कण हवा के माध्यम से पहुंचे थे। इस परिकल्पना की वैज्ञानिकों ने पुष्टि करते हुए कहा कि कुछ समय पहले एक अध्ययन में सामने आया था कि अनाज के पराग कण मध्य अक्षांस से हवा के माध्यम से आर्कटिक तक पहुंचे थे। वैज्ञानिकों ने बताया कि प्लास्टिक के ये सूक्ष्म कण अनाज के उनक परागकणों जितने ही होते हैं।
शोधकर्ताओं ने बताया कि बर्फ में मौजूद प्लास्टिक के सूक्ष्मकणों की मात्रा बेहद परेशान करने वाली है। सबसे ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा जर्मनी के एक राज्य बवेरिया में मिली है। यहां पर बर्फ को पिघलाने पर प्रति एक लीटर 1,54,000 सूक्ष्म कण मिले हैं। आर्कटिक के क्षेत्र में प्रति एक लीटर 14,400 सूक्ष्म कण मिले हैं।शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्हें बर्फ के साथ जो प्लास्टिक के सूक्ष्म कण मिले वे भिन्न-भिन्न प्रकार की प्लास्टिक के थे। आर्कटिक में शोधकर्ताओं को नाइट्राइल रबर, एक्रिलेट्स और पेंट के सूक्ष्म कण मिले। इसी तरह से दूसरे क्षेत्रों से शोधकर्ताओं को दूसरी प्रकार की प्लास्टिक के कण मिले।
गौरतलब है कि प्लास्टिक प्रदूषण वर्तमान का सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। प्लास्टिक के छोटे कण जहां एक ओर समुद्र में जीवों को प्रभावित कर रहे हैं तो वहीं वे कण अब हमारे भोजन में भी शामिल होते जा रहे हैं। पिछले कई वर्षो में समुद्र के पानी, पीने के पानी और यहां तक की जीवों में प्लास्टिक के कण मौजूद होने की बात सामने आती रही है।
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