न्यूयॉर्क। दुनिया की सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया वेबसाइट Facebook को अमेरिका में तगड़ा झटका लगा है। एक अमेरिकी अदालत ने उसको निर्देश दिया है कि वह उन हजारों ऐप के डाटा पुलिस को सौंपे जिनके जरिये यूजर्स की गोपनीयता (Privacy) का उल्लंघन किया गया है। ताजा आदेश कैंब्रिज एनालिटिका डाटा घोटाले की जांच के संबंध में पूर्व में दिए गए फैसले के तहत जारी किया गया है। गौरतलब है कि इस दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी ने पिछले साल ही इस बात को माना था कि गोपनीयता उल्लंघन के आरोपों के बाद उसने अपनी वॉल से इन एप को हटा दिया था।
“वाशिंगटन पोस्ट” में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार, मैसाच्युसेट्स की अदालत के जज ने कंपनी के उन प्रयासों को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने अहम दस्तावेज जांचकर्ताओं के पास जाने से रोकने की अपील की थी। Facebook के प्रवक्ता एंडी स्टोन ने कहा, “हम इस बात से निराश हैं कि मैसाच्युसेट्स के अटार्नी जनरल और अदालत ने हमारी दलीलों पर विचार नहीं किया। हम इस आदेश के खिलाफ ऊंची अदालत में अपील सहित अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।”
मैसाच्युसेट्स के डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरल मौरा हेले ने कहा, “हम इस बात से खुश हैं कि अदालत ने फेसबुक को यह आदेश दिया है कि वह बताए कि कौन से अन्य एप डेवलपर कैंब्रिज एनालिटिका की तरह आचरण में लगे हैं।” उधर, कैंब्रिज एनालिटिका मामले को सामने लाने वाले व्हिसलब्लोअर ब्रिटनी कैसर इससे जुड़े कुछ नए तथ्य सामने लाए हैं। उन्होंने कहा कि डाटा चोरी का पता लगने के बाद 2015 में फेसबुक ने पॉलिटिकल कंसलटेंसी फर्म से केवल डाटा हटाने के लिए ई-मेल के जरिये अनुरोध किया था और लापरवाह तरीके से इस संबंध में पुष्टि करने के लिए कहा था।
कैंब्रिज एनालिटिका का मामला
मुद्दा फेसबुक से डाटा चोरी कर उसका गलत इस्तेमाल करने का है। मामला अमेरिका का है और इसकी शुरुआत वर्ष 2013 में हुई। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चर एलेक्जेंडर कोगन ने एक पर्सनालिटी क्विज एप बनाया और उसको ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए अलग-अलग फेसबुक वॉल पर पोस्ट करवाया। जब लोगों ने उस एप को डाउनलोड करना चाहा तो फेसबुक के जरिये लॉग-इन करना पड़ा था। ऐसा करते समय एप यूजर्स का डाटा एक्सेस करने की अनुमति मांगी जाती थी। इससे धीरे-धीरे एप के जरिये 8.7 करोड़ यूजर्स की फेसबुक प्रोफाइल की पूरी जानकारी कोगन तक पहुंच गई।