लाहौर। आतंकवादियों के “आका” पाकिस्तान पर भारत, अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन समेत दुनियाभर से पड़ रहे दबाव का असर साफ दिख रहा है। बालाकोट एयर स्ट्राइक, जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर के मामले में चीन के भी साथ छोड़ देने और लगातार गड्ढे में जाती अर्थव्यावस्था के चलते उसे महसूस होने लगा है कि अब अगर उसने आतंकवादियों की सीधे तौर पर कोई मदद की या उन पर नरमी बरती तो उसकी खैर नहीं। यही कारण रहा कि उसने पहली बार आतंकी सरगना हाफिज सईद को गद्दाफी स्टेडियम में ईद की नमाज की अगुवाई करने की इजाजत नहीं दी।
लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक हाफिज सईद यहां नमाज के बाद तकरीर में भारत के खिलाफ जहर उगलने के साथ ही कश्मीर मसले को हवा देता था। सरकार उसे वहां पर कड़ी सुरक्षा भी मुहैया कराती थी। लेकिन, भारत के कड़े रुख के चलते पाकिस्तान सरकार इस समय बेहद सावधानी बरत रही है। आतंकी सरगना को चेतावनी दी गई थी कि इस बार ऐसा करने पर उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
सरकार की सख्ती को देखते हुए सईद ने अपने जौहर टाउन स्थित आवास के नजदीक एक छोटी मस्जिद में नमाद अदा की। उस पर मुंबई हमले की साजिश रचने और उसे अंजाम देने का आरोप है। संयुक्त राष्ट्र ने उसे वैश्विक आतंकी घोषित कर रखा है।
सूत्रों के अनुसार सईद ईद की नमाज की अगुआई के लिए गद्दाफी स्टेडियम जाना चाहता था लेकिन एक वरिष्ठ अधिकारी ने उसे मंगलवार को ही सरकार की मंशा से अवगत करा दिया। बता दिया कि उसके स्टेडियम में जाने पर रोक है। अगर वहां जाने की कोशिश की तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। सरकार का सख्त रुख जानकर हाफिज सईद सरगना सहम गया और वह गद्दाफी स्टेडियम नहीं गया। दरअसल, पाकिस्तान सरकार फिलहाल यह दिखाना नहीं चाहती कि वह किसी आतंकी सरगना या उसके संगठन के साथ खड़ी है या उन्हें सुविधाएं दे रही है। पाकिस्तान पर इस समय आतंकियों को आर्थिक संरक्षण देने के कारण अंतरराष्ट्रीय संगठन एफएटीएफ की नजर है। संगठन ने उसे ग्रे सूची में भी डाल रखा है। इससे पाकिस्तान को कहीं से भी आसानी से सहायता नहीं मिल पा रही है।