नई दिल्ली। एक ऐसे दौर में जब धर्म, जाति, क्षेत्र और राज्य के नाम पर अपनी पहचान बनाने की होड़ लगी हो, कोई गर्व से यह कहे कि “सबसे पहले मैं भारतीय” तो जाहिर है कि वह “बड़ी सोच का बड़ा व्यक्ति” ही होगा। यहां जिस व्यक्ति की बात हो रही है वह हैं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष डॉ. के. सिवन। इन दिनों वायरल हो रहे एक साक्षात्कार की यह क्लिप पुरानी जरूर है पर है प्रेरक जिसकी जमकर तारीफ हो रही है।
दरअसल, जनवरी 2018 में डॉ. सिवन ने एक क्षेत्रीय समाचार चैनल को इंटरव्यू दिया था। इस दौरान पत्रकार ने उनसे सवाल किया था कि एक तमिल व्यक्ति के तौर पर आप इतनी ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं, तमिलनाडु के लोगों के लिए आप क्या कहना चाहेंगे? इस पर डॉ. सिवन ने जो जवाब दिया वह जानकर आपको भी गर्व होगा। सिवन ने कहा, “सबसे पहले मैं एक भारतीय हूं। मैंने एक भारतीय के रूप में इसरो जॉइन किया। इसरो ऐसी जगह है जहां सभी क्षेत्रों और अलग-अलग भाषाओं वाले लोग एक साथ काम करते हैं और अपना योगदान देते हैं। मैं अपने भाइयों के प्रति आभारी हूं जो मेरी प्रशंसा करते हैं।”
भारत ने 15 फरवरी 2017 को एक साथ 104 उपग्रह प्रक्षेपित किए थे जिसमें डॉ. सिवन ने अहम भूमिका निभाई थी। डॉ. सिवन विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) के निदेशक भी रह चुके हैं।
इसरो प्रमुख का पूरा नाम डॉ. कैलाशवडिवू सिवन है। 14 अप्रैल 1957 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के सराक्कलविलाई गांव में एक किसान के घर उनका जन्म हुआ था। सिवन ने एक सरकारी स्कूल में तमिल माध्यम से पढ़ाई की है। नागेरकोयल के एसटी हिंदू कॉलेज से उन्होंने स्नातक किया। सिवन स्नातक करने वाले अपने परिवार के पहले सदस्य हैं। उनके भाई-बहन गरीबी के कारण अपनी उच्च शिक्षा पूरी नहीं कर पाए। सिवन के अनुसार, बचपन में उनके पास पहनने के लिए जूते-चप्पल भी नहीं थे। वे अक्सर नंगे पैर ही रहा करते। कॉलेज तक धोती पहनते थे। एमआईटी में दाखिला लेने के बाद उन्होंने पहली बार पैंट पहनी। वह कभी ट्यूशन या कोचिंग क्लास भी नहीं गए। सिवन ने साल 1982 में इसरो ज्वाइन किया था। यहां उन्होंने लगभग हर रॉकेट कार्यक्रम में काम किया है।