ये हैं यूपी में कमल खिलने के 5 बड़े कारण

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के 403 विधानसभा चुनावों के रुझान आने शुरू हो गए हैं। शुरुआती रुझानों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अन्य दलों से काफी आगे है, जबकि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस (गठबंधन) दूसरे और बहुजन समाज पार्टी तीसरे स्थान पर खिसकती नज़र आ रही है, हालांकि ये महज़ रुझान हैं और नतीजे आने बाक़ी हैं।

लेकिन रुझानों का यही सिलसिला जारी रहा तो भाजपा उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आएगी और निश्चित तौर पर यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा की अप्रत्याशित जीत साबित हो सकती है। और अगर ऐसा होता है तो मोदी के अलावा और भी कई वजहें हैं जिसकी वजह से भाजपा प्रदेश में भगवा रंग खिलाने में कामयाब होगी।
1 -मोदी की रैली : पूर्वांचल की 89 सीटों पर मतदान से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीन दिनों तक वाराणसी में रोड शो करते नज़र आए, जिसका असर चुनावी रुझानों में दिख रहा है। मोदी वाराणसी से सांसद भी हैं। मोदी ने तीन दिनों तक वाराणसी और आसपास के शहरों जमकर रोड शो किया। गली-गली में जाकर भाजपा के लिए खुद प्रचार करने की ज़िम्मेदारी संभाली।

2-अमित का प्रबंधन : आखिरी दो चरण के मतदान जो कि 4 मार्च और 8 मार्च को हुए में पूर्वांचल की 89 सीटों पर मतदान हुआ और इस दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उत्तर प्रदेश प्रचार मुख्यालय को राज्य की राजधानी लखनऊ से हटाकर वाराणसी ले गए। वहीं पर आगे की रणनीति तैयार हुई किस तरह से विपक्ष को चारों खाने चित किया जाए। हालांकि शुरुआती चरणों के मतदान की बागडोर भी अमित शाह ने अपने कंधों पर ले रखी थी और चुनाव की सारी तैयारियों का नेतृत्व वे ख़ुद कर रहे थे।

3- मज़बूत विकल्प : उत्तर प्रदेश की जनता भाजपा को मज़बूत विकल्प के तौर पर भी देख रही है। विधानसभा चुनावों से पूर्व जिस तरह से समाजवादी पार्टी में विवाद शुरू हुए, उससे प्रदेश की जनता में ग़लत संदेश प्रसारित हुआ। चाचा शिवपाल यादव और पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से अखिलेश यादव की तकरार ने समाजवादी पार्टी का ही बंटाधार किया. पार्टी तो टूटने से बच गई, लेकिन कार्यकर्ता दो खेमों में बंट गए।

4- नोटबंदी : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 73 सीटों पर विजेता होना, ने भी टॉनिक का काम किया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी अभियान का दुष्प्रचार उनके (मोदी के लिए) लिए फायदेमंद ही साबित हुआ। उत्तर प्रदेश की सभी बड़ी पार्टियों ने नोटबंदी की जनकर आलोचना की थी वो चाहे प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हों या फिर बसपा सुप्रीमो मायावती। लेकिन इसका उलटा असर होता नज़र आ रहा है। विपक्ष ने नोटंबदी के लिए प्रधानमंत्री की नकारात्मक छवि पेश करने की कोशिश की, लेकिन पीएम के लिए विधानसभा चुनाव में यह सकारात्मक संदेश लेकर आई।

5- विवादों से किनारा : भाजपा की जीत का एक अहम कारण यह भी होगा कि इस बार उनके विवादों से बचते नज़र आए। भाजपा नेताओं की ओर से ऐसा कोई भी विवादास्पद बयान नहीं दिया गया जिससे कि उन्हें वोटों का ख़ामियाज़ा भुगतना पड़े। प्रधानमंत्री मोदी ‘कब्रिस्तान-श्मशान’ वाले बयान को विपक्ष ने हवा देने की कोशिश की, लेकिन नाकामयाब रहे। प्रदेश में भाजपा की जीत मोदी के विकास एजेंडे पर प्रदेश की जनता की मुहर भी होगी।

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