वाशिंगटन। अपने देश की कई नीतियों के मुखर आलोचक अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने इस बार आतंकवादी संगठनों पर कार्रवाई को लेकर शीर्ष नेतृत्व पर निशाना साधा है। आतंकवादी संगठनों को किसी भी तरह का समर्थन नहीं देने के प्रधानमंत्री इमरान खान के हाल ही में दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए हक्क्नी ने कहा कि यब बयान उनकी (इमरान खान) नीति में बदलाव को नहीं बल्कि एक वैश्विक संस्था (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ) द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के डर को दिखाता है। एफएटीएफ तुरंत प्रतिबंध नहीं लगा रहा है लेकिन उससे बचने के लिए पाकिस्तान ऐसी कवायद कर रहा है। 

आतंकवादी संगठनों पर कार्रवाई करने के वैश्विक दबाव के बीच इमरान खान ने पिछले महीने कहा था कि उनकी सरकार पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी तरह के आतंकी गतिविधि के लिए नहीं होने देगी और ऐसे संगठनों पर कार्रवाई करेगी। पाकिस्तान के गृह राज्यमंत्री शहरयार खान अफरीदी ने भी बीते शुक्रवार को कहा था कि आतंकी संगठनों को मिलने वाले धन और धन शोधन (Money laundering) पर रोक लगाने के लिए उनके देश ने प्रभावी कदम उठाए हैं। इसके परिणाम सामने आने शुरू हो गए हैं।

हुसैन हक्कानी भारत की पहल पर जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ‘”इंडिया आइडियाज कॉन्फ्रेंस” में व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘खासतौर पर अफगानिस्तान और भारत के खिलाफ होने वाले आतंकवाद में पाकिस्तान के व्यवहार में बेहद कम ही बदलाव हुए हैं।’’ हक्कानी ने इस ओर भी इशारा किया कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के खिलाफ पाकिस्तान किसी भी तरह की कार्रवाई करने में विफल रहा है। 

हुसैन हक्कानी इस समय हडसन इंस्टीट्यूट में दक्षिण एवं मध्य एशिया के निदेशक हैं। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं। उन्हें पाकिस्तानी सेना की घरेलू एवं विदेश नीतियों का मुखर आलोचक माना जाता है। 

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