नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था की सेहत में सुधार के फिलहाल कोई संकेत नजर नहीं आ रहे।स्वयं सरकार का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) घटकर पांच प्रतिशत रह जाएगी। ऐसा हुआ तो यह 11 साल का न्यूनतम स्तर होगा। गौरतलब है कि पिछले वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार 6.8 प्रतिशत रही थी।

नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (एनएसओ) की ओर से मंगलवार को राष्ट्रीय आय को लेकर जारी पहले अग्रिम अनुमान में जीडीपी ग्रोथ घटने का अनुमान जताया गया है।आंकड़ों के मुताबिक मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के ग्रोथ में गिरावट के कारण जीडीपी वृद्धि की रफ्तार कम हुई है। इस सेक्टर के चालू वित्त वर्ष में गिरकर दो प्रतिशत पर आने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 6.2 प्रतिशथपर था। एनएसओ के अनुसार, कृषि, निर्माण, बिजली, गैस और जलापूर्ति जैसे क्षेत्रों में भी गिरावट देखने को मिली। हालांकि, खनन, लोक प्रशासन और रक्षा जैसे सेक्टर्स में थोड़ा सुधार देखने को मिला।

बेहद अहम होता है जीडीपी का अग्रिम अनुमान

जीडीपी का अग्रिम अनुमान बेहद अहम होता है क्योंकि वित्त मंत्रालय अगले वित्त वर्ष का बजट अनुमान एनएसओ के आंकड़ों के आधार पर ही तय करता है। दूसरा एडवांस एस्टिमेट 28 फरवरी को जारी किया जाएगा। यह तीनों तिमाहियों के वास्तविक आंकड़ों पर आधारित होगा। उसके बाद मई में प्रोविजनल एस्टिमेट आएगा। उससे देश के आर्थिक हालात को लेकर ज्यादा स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी।

1 फरवरी को पेश होना है बजट

जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान उस समय आएं हैं जब नरेंद्र मोदी सरकार 2020-21 के बजट की तैयारी कर रही है। बजट 1 फरवरी 2020 को पेश होना है। ये अनुमान मोदी सरकार को थोड़ा आश्वासन देगा कि उपभोग और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों का असर नजर आएगा।

एशिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट में गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2016 में जीडीपी ग्रोथ रेट 8 प्रतिशत रहा जो वित्त वर्ष 2019 में 6.8 फीसदी पर आ गया। हाल में ही सरकार ने अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने और स्लोडाउन को रोकने के लिए कई कदम उठाए। सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स घटाने से लेकर आरबीआई ने मौद्रिक पैकेज भी ऑफर किया। अब ऐसी उम्मीद की जा रही है कि सरकार बजट में स्लोडाउन से निपटने के लिए और कदम उठा सकती है। 

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