नयी दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में गालवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गये हैं। सरकार के सूत्रों से हवाले इस बात की जानकारी मिली है। हालांकि चीन की क्षति के बारे में सटीक संख्या की जानकारी नहीं दी गई है। कहा गया है कि चीन को भी नुकसान हुआ है। 40 से अधिक सैनिक या तो मारे गए हैं या फिर घायल हैं।
वीरगति को प्राप्त होने वाले भारतीय जवानों में कर्नल बी संतोष बाबू, 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर, 81 फील्ड रेजिमेंट के हवलदार के पलानी और 16 बिहार रेजिमेंट के हवलदार सुनील कुमार झा शामिल हैं। वहीं, सूत्रों ने यह भी बताया है कि चीन के 43 सैनिकों को नुकसान पहुंचा है। ये या तो मारे गए हैं या फिर घायल है। इन्हें ले जाने के लिए चीन के कई चॉपर एलएसी के करीब दिखे।
इससे पहले 1975 में अरुणाचल में भारत और चीन के सैनिकों के बीच भिड़ंत में चार जवान मारे गए थे। हालांकि सामान्य तौर पर 1967 के सिक्किम में हुए संघर्ष को दोनों देशों के बीच आखिरी खूनी संघर्ष के तौर पर माना जाता है। तब सीमा पर हुई थी गोलीबारीअरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला इलाके में तब असम रायफल्स के चार जवान चीनी सैनिकों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। उस वक्त चीनी सैनिकों ने एलएसी पार की और गश्त कर रहे 20 अक्तूबर 1975 को भारतीय जवानों पर हमला किया। चीन ने तब भारत पर एलएसी पार करने के बाद आत्मरक्षा में गोली चलाने का बहाना बनाया था।
एएलएसी के नजदीक लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच चल रही झड़प के बारे में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जानकारी दी। इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत और चीन सीमा पर पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में दोनों सेनाओं के जवानों के बीच हिंसक झड़प के कारण उत्पन्न स्थिति पर शीर्ष सैन्य नेतृत्व के साथ लगातार दो बैठकों में चर्चा की। रजनाथ सिंह ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की मौजूदगी में चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ लगभग एक घंटे चली बैठक में घटना की विस्तार से जानकारी ली और स्थिति की समीक्षा की। बैठक में मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए रणनीति और आगे उठाए जाने वाले कदमों पर भी विचार विमर्श किया गया। बाद में सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को भी घटना की विस्तार से जानकारी दी और मौजूदा स्थिति पर उनके साथ भी चर्चा की।
रक्षा मंत्री ने इसके बाद शाम को एक बार फिर अपने निवास पर सेना के शीर्ष नेतृत्व को बैठक के लिए बुलाया। जनरल रावत और सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे तथा अन्य अधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लिया।
आज विदेश मंत्रालय ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प क्षेत्र में ’’यथास्थिति“ को एकतरफा तरीके से बदलने के चीनी पक्ष के प्रयास के कारण हुई। मंत्रालय ने कहा है कि पूर्व में शीर्ष स्तर पर जो सहमति बनी थी, अगर चीनी पक्ष ने गंभीरता से उसका पालन किया होता तो दोनों पक्षों की ओर जो हताहत हुए हैं उनसे बचा जा सकता था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ’’सीमा प्रबंधन पर जिम्मेदाराना दृष्टिकोण जाहिर करते हुए भारत का स्पष्ट तौर पर मानना है कि हमारी सारी गतिविधियां हमेशा एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के भारतीय हिस्से की तरफ हुई हैं। हम चीन से भी ऐसी ही उम्मीद करते हैं।“ श्रीवास्तव ने कहा, ’’हमारा अटूट विश्वास है कि सीमाई इलाके में शांति बनाए रखने की जरूरत है और वार्ता के जरिए मतभेद दूर होने चाहिए।“ उन्होंने कहा, ’’इसके साथ ही हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।“
चीन ने भी मान लिया है कि सोमवार (15 जून) रात वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसक झड़प के दौरान उसके भी सैनिक मारे गए हैं। हालांकि उसके कितने सैनिक हताहत हुए हैं, इसकी जानकारी उन्होंने नहीं दी। चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के हवाले से चीन की सेना (पीएलए) का यह बयान जारी हुआ है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ताजा घटनाक्रम के बाद एक चीनी सैन्य प्रवक्ता ने मंगलवार (16 जून) को भारतीय सैनिकों से अपील करते हुए कहा कि वे सीमा पर चीनी सैनिकों के खिलाफ सभी भड़काऊ कार्रवाइयों को तुरंत रोके और बातचीत के माध्यम से विवादों को सुलझाने के सही रास्ते पर वापस आए। पीएलए ने कहा, “भारतीय सैनिकों ने एक बार फिर गलवान घाटी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार किया और जानबूझकर उकसाने वाले हमले किए, जिससे गंभीर संघर्ष हुआ और सैनिक हताहत हुए।“
लाइव हिन्दुस्तान से साभार
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