भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को ही जन्माष्टमी कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथों के मतानुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि के समय हुआ था। भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को होने के कारण इसको कृष्णजन्माष्टमी कहते हैं। भगवान कृष्ण का रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, इसलिए जन्माष्टमी के निर्धारण में रोहिणी नक्षत्र का बहुत ज्यादा ध्यान रखते हैं। जन्म का उत्सव इसी काल में मनाया जाता है।देवताओं में भगवान श्री कृष्ण विष्णु के अकेले ऐसे अवतार हैं जिनके जीवन के हर पड़ाव के अलग रंग दिखाई देते हैं। उनका बचपन लीलाओं से भरा पड़ा है। उनकी रासलीलाओं की कहानी कहती है, एक राजा और मित्र के रूप में वे भगवद् भक्त और गरीबों के दुखहर्ता बनते हैं तो युद्ध में कुशल नितिज्ञ। महाभारत में गीता के उपदेश से कर्तव्यनिष्ठा का जो पाठ भगवान श्री कृष्ण ने पढ़ाया है आज भी उसका अध्ययन करने पर हर बार नये अर्थ निकल कर सामने आते हैं। भगवान श्री कृष्ण के जन्म लेने से लेकर उनकी मृत्यु तक अनेक रोमांचक कहानियां है।जन्माष्टमी पर अपने आराध्य भगवान श्री कृष्ण की कृपा पाने के लिये भक्तजन उपवास रखते हैं और श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन लोग उपवास रखतें हैं और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं।
पूजन का शुभ समय
इस बार अष्टमी 14 अगस्त को सायं 07.45 पर आरम्भ होगी।यह 15 अगस्त को सायं 05.40 पर समाप्त होगी। रात्रि में अष्टमी तिथि 14 अगस्त को होगी। ऐसे में कुछ ज्योतिषी का मानना है कि इस बार जन्माष्टमी 14 अगस्त को मनाना उत्तम होगा। वहीं, कुछ ज्योतिष विशेषज्ञ का मानना है कि कोई भी शुभ कार्य उदया तिथि में ही मनाई जाती है। इसलिए भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव 15 तारीख को ही मनाया जाएगा। 15 अगस्त की मध्य रात्रि में श्रीकृष्ण का जन्म होगा और तभी जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण पूजें इस रूप को –सामान्यतः जन्माष्टमी पर बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है। आप अपनी आवश्यकता और मनोकामना के आधार पर जिस स्वरुप को चाहें स्थापित कर सकते हैं। अगर आप इस जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति घर लेकर आ रहे हैं तो कुछ बातों को ध्यान में रखकर ही मूर्ति की खरीदारी करें…
जो जातक संतान की मनोकामना पूरी करना चाहते हैं वो भगवान श्रीकृष्ण के बालक रूप को घर ले आएं। यानी कि बालकृष्ण को घर लेकर आएं।
अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भक्त बंशी वाले कृष्ण की घर में स्थापना करें।
प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए ऐसी मूर्ति खरीदें जिसमें राधा और कृष्ण दोनों साथ-साथ हों।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन शंख और शालिग्राम की स्थापना भी बहुत शुभ होती है। इसलिए अगर आपके पूजा घर में शंख नहीं है तो जन्माष्टमी पर उसकी स्थापना कर सकते हैं।
इस शुभ मौके पर हम आपको बता रहे हैं कि जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा कैसे की जाए:श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव हमें अपने पूरे परिवार के साथ आनंद से मनाना चाहिए।
सुबह उठकर पूजा से पहले स्नान करें और माथे पर चंदन लगाएं। प्रात:काल स्नान करके घर स्वच्छ कर लड्डू गोपाल की मूर्ति को चांदी अथवा लकड़ी के पटिए पर स्थापित करना चाहिए। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को भी स्नान कराएं। मूर्ति को दूध, घी, फूल और साधा पानी से नहलाते वक्त जप करें- ‘ब्रह्मा स्मिहता गोविंदम आदि पुरुशम’ का जाप करें। स्नान कराने के बाद उन्हें पीले वस्त्र धारण कराएं और पीले रंग के आभूषणों से उनका श्रृंगार करें। इसके बाद उन्हें दोबारा से मंदिर में विराजमान करा दें। नहलाने के बाद मूर्ति के साथ खाना, फूल, पानी और घी का दिया रख दें। पूजा के लिए एक पवित्र और साफ सुथरी थाली लें, उसमें गंगाजल, कुमकुम, चंदन, धूप, दीपक और कुछ फूल रख लें। इसके अलावा एक दूसरी प्लेट और लें जिसमें फल-फूल और पानी रखें। इसके साथ ही उसमें घी या तेल का दीपक रख लें।
जब यह सब हो जाए, तब अपने बाएं हाथ से पानी लेकर सीधे हाथ से पानी लें और बोलें ‘ओम अच्युत्याय नम:’ और उस पानी को तुरंत पी जाएं। उसके बाद फिर पानी लें और बोलें- ‘ओम अनंत्याय नम:’ और फिर पानी पी जाएं। इसके बाद आखिर में ‘ओम गोविंदाय नम:’ बोलें और पानी फिर पी जाएं। इसके बाद दोनों हाथों पर पानी डालें।
इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति पर चंदन का तिलक लगाएं। इसके बाद बोलें ‘शुभम करोति कल्याणम्’ और दीपक जला देंगे। तभी ‘गुरु ब्रह्रा, गुरु विष्णु’ कहें और उसके बाद कृष्ण भजन गाएं। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के पास सात बार धूपबती घुमाएं। इसके बाद भगवान श्री कृष्णा के पैरों पर कुमकुम लगाएं और उसके बाद उसे अपने माथे पर लगा लें। पूजा के दौरान भगवान श्री कृष्ण से अपने पापों के लिए माफी मांगे। इसके बाद जो फल, पानी और फूल भगवान को चढ़ाए थे, उन्हें आप भी खा सकते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूजन से ये होगा लाभ : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है।जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान प्राप्ति होती है।यही नहीं पूजन करने वाले जातक को दीर्घायु का वरदान मिलता है और समृद्धि की प्राप्ति होती है।जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर हो वे जन्माष्टमी पर विशेष पूजा से लाभ पा सकते हैं।