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हिंदू चरमपंथी टिप्पणीः हाईकोर्ट ने लगाई कमल हासन को फटकार

मदुरै। लोकसभा चुनाव 2019 के प्रचार अभियान के दौरान हिंदू चरमपंथी टिप्पणी को लेकर विवादों से घिरे अभिनेता-नेता कमल हासन को मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को कड़ी फटकार लगाई। हाई कोर्ट की मदुरै पीठ ने आगाह किया कि एक अपराधी की पहचान उसके धर्म, जाति या नस्ल से करना निश्चित तौर पर लोगों के बीच घृणा के बीज बोना है। हालांकि न्यायमूर्ति आर. पुगलेंधी ने एक चुनावी रैली में की गई विवादित टिप्प्णी को लेकर दर्ज मामले में उन्हें अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि घृणा भरे भाषण देना आजकल आम हो गया है।

मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) के संस्थापक कमल हासन को अरावाकुरीचि में की गई उनकी टिप्पणी को लेकर दर्ज मामले में गिरफ्तार किए जाने की आशंका थी। इसी के चलते उन्होंने अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। रैली में कमल हासन ने कहा था कि स्वतंत्र भारत का पहला चरमपंथी एक हिंदू था। दरअसल, उन्होंने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे के संदर्भ में यह बात कही थी। उनकी टिप्पणी ने विवाद खड़ा कर दिया था। भाजपा, तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक तथा हिंदू संगठनों ने उनकी आलोचना की थी। उनके खिलाफ तमिलनाडु एवं नई दिल्ली में मामले दर्ज किये गए।

न्यायमूर्ति आर. पुगलेंधी ने प्रचार भाषण में इस मुद्दे को उठाए जाने पर कमल हासन की गलती की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘एक चिंगारी से रोशनी भी हो सकती है साथ ही पूरा जंगल भी खाक हो सकता है।”  न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, ‘‘चुनाव सभा में जनता के लिए जरूरी था कि आम लोगों के उत्थान के लिए रचनात्मक समाधान दिए जाएं, न कि घृणा पैदा की जाए।” उन्होंने कहा कि देश पहले से ही सार्वजनिक भाषणों के कारण होने वाली कई घटनाएं झेल चुका है जिसमें बेकसूर लोगों ने बहुत कुछ सहा है।

व्यक्ति अपने व्यवहार से अपराधी बनता है, अपने जन्म से नहींः न्यायमूर्ति आर. पुगलेंधी

न्यायमूर्ति आर. पुगलेंधी ने इस बात पर खेद जताया कि याचिकाकर्ता अपने पक्ष पर कायम है कि उन्होंने जो कहा वह ऐतिहासिक घटना के संदर्भ में था। न्यायमूर्ति पुगलेंधी ने कहा, “अगर यह ऐतिहासिक घटना है और यह सही संदर्भ में नहीं कही गई तो यह एक अपराध है। ” न्यायाधीश ने कहा, “भले ही वह कट्टरपंथी, आतंकवादी या चरमपंथी हो, उसको उनके धर्म, नस्ल, जन्मस्थान, निवास और भाषा के आधार पर नहीं परिभाषित किया जाना चाहिए। एक व्यक्ति अपने व्यवहार से अपराधी बनता है, अपने जन्म से नहीं।’’

न्यायमूर्ति आर. पुगलेंधी ने गौर किया कि घृणा भाषण आम हो गए हैं।     उन्होंने एक मामले की ओर इशारा किया जिसमें एक महिला ने ऐसे मामले में अदालत से अग्रिम जमानत मांगी जहां उसने भगवान मुरुग की तुलना एक कुत्ते से की थी। अदालत ने ऐसे कई और उदाहरण भी दिए। हालांकि याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि अदालत को उन्हें (कमल हासन के) जमानत देनी होगी क्योंकि चुनाव प्रक्रिया अब भी लंबित है और वह एक पंजीकृत राजनीतिक दल के नेता हैं।

हाई कोर्ट ने कमल हासन को अरावाकुरीचि में न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश होने और 10,000 रुपये का मुचलका और इतनी ही जमानत राशि जमा कराने का निर्देश दिया।

gajendra tripathi

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