प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मृतक कर्मचारी के आश्रितों के हित में ऐतिहासिक पहल की है। सरकारी सेवा में समान अवसर और सामाजिक न्याय में सामंजस्य स्थापित करने के लिए उसने राज्य सरकार को मृतक आश्रितों को विशेष पैकेज देने का सुझाव दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने बुधवार को अंकुर गौतम व अन्य की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

हाईकोर्ट ने कहा है कि मृतक आश्रितों की भारी संख्या और पदों की कमी को देखते हुए सरकार ऐसा तरीका अपनाए जिससे खुली प्रतियोगिता से योग्य लोगों की नियुक्त हो और मृतक आश्रितों को भी सामाजिक न्याय मिल सके। अदालत ने सुझाव दिया है कि सरकार आश्रित परिवार को मृत कर्मचारी की सेवानिवृत्ति या अचानक आई आपत्ति से उबरने के लिए 3 से 5 वर्ष तक कर्मचारी को मिल रहे वेतन का भुगतान करने का कानून बनाए। ऐसा करने से खुली प्रतियोगिता से नियुक्ति के अवसर बढ़ेंगे और आश्रित को भी सहायता मिल सकेगी।

हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग में सीधी भर्ती कोटे के 5 प्रतिशत पदों पर आश्रितों की नियुक्ति के नियम को वैध करार दिया है और कहा है कि ऐसा न करने से आश्रितों की संख्या अधिक हो जाएगी और सीधी भर्ती के अवसर कम होंगे। हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी विभागों के लिए आश्रितों को सामाजिक न्याय का कानून बनाने के लिए आदेश की प्रति मुख्य सचिव को प्रेषित करने का आदेश दिया है।

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