जोधपुर। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे ने इशारों-इशारों में हैदराबाद एनकाउंटर की आलोचना की है। न्यायमूर्ति बोबडे ने शनिवार को यहां कहा, “देश में घट रही घटनाओं ने नए जोश के साथ पुरानी बहस छेड़ दी है। इसमें कोई शक नहीं है कि आपराधिक न्याय प्रणाली पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।” उन्‍होंने कहा, “न्‍याय कभी बदले के रूप में नहीं किया जा सकता है। मुझे लगता है कि यदि बदला लेने की बात हुई तो न्‍याय की परिभाषा खो जाएगी।”

हैदराबाद एनकाउंटर के एक दिन बाद न्यायमूर्ति बोबडे के यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसे लेकर देशभऱ में बहस छिड़ गई है और दो खेमे साफ देखे जा सकते हैं। महिला डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत से आहत तमाम लोग इस एनकाउंटर को त्वरित न्याय के तौर पर देख रहे हैं। उनकी इस भावना को देश के न्याय प्रणाली से लोगों को उठते विश्वास के तौर पर देखा जा रहा है। दूसरे ओर एक तबका इस एनकाउंटर को “जंगल के कानून” के तौर पर देख रहा है जिसके नतीजे घातक हो सकते हैं। यह तबका इसकी जगह न्यायप्रणाली और भारतीय दंड संहिता में आमूल-चूल बदलाव की मांग कर रहा है। न्यायमूर्ति बोबडे ने एक तरह से इनके मत पर मुहर लगाई है।

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