जोहानिसबर्ग। यह “आगे कुआं और पीछे खाई” जैसी स्थिति है। दुनिया के कुछ नेताओं ने इस सप्ताह संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक बैठक में चेतावनी दी कि यदि कोविड-19 (कोरोना वायरस) हमारी जान नहीं लेता है तो जलवायु परिवर्तन मार डालेगा। साइबेरिया में इस साल सर्वाधिक तापमान दर्ज किया गया जबकि ग्रीनलैंड और कनाडा में ग्लेशियर का एक बड़ा हिस्सा टूट कर समुद्र में मिल गया। ऐसे में विभिन्न देश इस बात से भलीभांति अवगत हैं कि जलवायु परिवर्तन के लिए कोई टीका नहीं है।
फिजी के प्रधानमंत्री फ्रैंक बैनमारामा ने अमेरिका में जंगलों में लगी आग का जिक्र करते हुए कहा, “हम पर्यावरणीय विनाशलीला का एक प्रारूप देख रहे हैं।” उन्होंने कहा कि ग्रीनलैंड में ग्लेशियर का जो बड़ा टुकड़ा टूट कर समुद्र में मिल गया, वह कई द्वीपीय देशों के आकार से बड़ा था।
कोविड-19 महामारी के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र वैश्विक जलवायु सम्मेलन 2021 के अंत तक के लिए टाल दिया गया है। छोटे द्वीपीय देशों के गठबंधन और अल्प विकसित देशों के समूह ने कहा, यदि दुनिया अपने मौजूदा ढर्रे पर चलती रही, तो अगले 75 वर्षों में कई सदस्य देश संयुक्त राष्ट्र में नहीं दिखेंगे।
प्रशांत महासागर के द्वीपीय देश पलाउ में कोराना वायरस संक्रमण का एक भी मामला नहीं आया है लेकिन इसके राष्ट्रपति टॉमी ई रामेंगेसाउ जूनियर ने चेतावनी दी की समुद्र के बढ़ते जल स्तर से उनका देश डूब जाएगा। तुवालू संक्रमण मुक्त हो गया है लेकिन यह द्वीपीय देश अब दो चक्रवाती तूफानों से उबर रहा है। तुवालू का सर्वाधिक ऊंचा स्थान समुद्र स्तर से कुछ ही मीटर ऊपर है।