सभी शिक्षा बोर्डों को निर्देश दिया गया है कि शैक्षणिक सत्र 2019–20 में नए प्रवेश और प्रत्येक कक्षा के लिए बताई गई शुल्क संरचना (Fee structure) के अनुसार ही शैक्षणिक सत्र 2020–21 में छात्र-छात्राओं से शुल्क लिया जाएगा।
लखनऊ। यूपी बोर्ड और सीबीएसई समेत उत्तर प्रदेश में संचालित सभी शिक्षा बोर्डों को इस सत्र (2020–21) में स्कूल फीस नहीं बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कोरोना वायरस की वजह से लागू किए गए लॉकडाउन के कारण कुछ छात्र–छात्राओं के अभिभावकों का रोजगार प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुआ है। ऐसे लोगों को फीस जमा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसी को ध्यान रखते हुए यह निर्देश दिया गया है। सभी जिलाधिकारियों और माध्यमिक शिक्षा निदेशक को इस आदेश का पालन सुनिश्चित कराने को कहा गया है।
उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा के निर्देश पर प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला ने समस्त जिलाधिकारियों और माध्यमिक शिक्षा निदेशक को इस बाबत पत्र जारी कर दिया है। पत्र में निर्देश दिया गया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के दृष्टिगत लॉकडाउन के कारण उत्पन्न आपात परिस्थितियों के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश में संचालित समस्त बोर्ड- उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड), उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) भारतीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (आईसीएसई), इंटरनेशनल बेक्कलॉरेट (आईबी) और इंटरनेशनल जनरल सर्टिफिकेट आफ सेकेंडरी एजुकेशन (आईजीसीएसई) शैक्षणिक सत्र 2020–21 के लिए शुल्क में वृद्धि नहीं करेंगे।
सभी शिक्षा बोर्डों को निर्देश दिया गया है कि शैक्षणिक सत्र 2019–20 में नए प्रवेश और प्रत्येक कक्षा के लिए बताई गई शुल्क संरचना (Fee structure) के अनुसार ही शैक्षणिक सत्र 2020–21 में छात्र-छात्राओं से शुल्क लिया जाएगा। यदि किसी विद्यालय द्वारा शैक्षणिक सत्र 2020–21 में शुल्क वृद्धि करते हुए बढ़ी हुई दरों से शुल्क लिया जा चुका है तो बढ़े हुए अतिरिक्त शुल्क को आगामी महीनों के शुल्क में समायोजित किया जाएगा।
गौरतलब है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इससे पहले यह निर्देश भी जारी किया था कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण आपदा की अवधि में विद्यालयों द्वारा मासिक आधार पर शुल्क लिया जाए। किसी भी छात्र-छात्रा या अभिभावक को तीन महीने का अग्रिम शुल्क जमा करने के लिए बाध्य नहीं किया जाए।
उत्तर प्रदेश सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि विद्यालय द्वारा कराई जा रही ऑनलाइन पढ़ाई से किसी भी विद्यार्थी को वंचित न किया जाए और न ही शुल्क जमा न किए जाने के कारण किसी विद्यार्थी का नाम काटा जाए।
सरकार की ओर से कहा गया है आदेश का अनुपालन किए जाने में शिथिलता बरते जाने पर उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) अधिनियम–2018 के अंतर्गत गठित जिला शुल्क नियामक समिति के समक्ष छात्र-छात्राओं और अभिभावकों द्वारा शिकायत की जा सकती है।
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