बरेली। गर्मियों में स्वास्थ्वर्धक पेय (Health drink) के तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला चने का सत्तू कई तरीकों से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। काले चने को भून कर उससे तैयार आटा ही चने का सत्तू है। इसमें फाइबर्स और कार्बोहाइड्रेट्स की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। गर्मियों में प्यास बुझाने के लिए कोल्ड ड्रिंक्स और फलों के डिब्बाबंद रस का इस्तेमाल सेहत के लिए जितना नुकसानदायक होता है, उतना ही चने के सत्तू का शर्बत लाभदायक होता है। सत्तू से बना शरबत स्वास्थ्य और शरीर के लिए बहुत लाभकारी होता है। हम आपको चने के सत्तू के फायदे बता रहे हैं जिन्हें जानकर आप भी इसके मुरीद हो जाएंगे।
सत्तू की तासीर ठंडी होती है जिसकी वजह से गर्मियों में इसका सेवन करना लाभकारी होता है। इसमें मौजूद गुण लू (Heat stroke) से बचाने में सहायक होते हैं। यह पेट को ठंडा रखने में भी मदद करता है जिससे पेट से संबंधी कई बीमारियाँ दूर हो जाती हैं। इसके सेवन से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है। लेकिन, इसका अधिकतम लाभ तभी होता है जब इसका सेवन खाली पेट किया जाए।
चने में मौजूद फाइबर्स की भरपूर मात्रा इसे पीसने के बाद बने सत्तू में भी उतनी ही मात्रा में बनी रहती है जिसे पीना बहुत ही लाभकारी होता है। गर्म, मसालेदार और ऑयली खाना खाने से अपच, पेट में जलन और गैस की समस्या होना आम बात है। इसे चने का सत्तू पीकर आसानी से दूर किया जा सकता है। इसमें मौजूद फाइबर्स ही पाचन क्रिया को सही रखने में मदद करता है। गर्मी के मौसम में कई लोगों को मिचली आने की शिकायत होती है। रोजाना सत्तू पीने से उल्टी (पलटी या कै) रुकती है और शरीर की कमजोरी भी दूर होती है।
चने के सत्तू में कई सारे ऐसे तत्व होते हैं जो एक संपूर्ण आहार के लिए जरूरी होते हैं। इसे खाने से या इसे पीने से काफी समय तक भूख नहीं लगती जिससे आसानी से वजन कम किया जा सकता है। कई बार डाइटिंग के लिए लोग घंटों भूखे रहते हैं जिससे वजन तो आसानी से कम हो जाता है लेकिन ज्यादा समय तक भूखे रहने से सेहत पर इसका बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। चने का सत्तू इन सारी समस्याओं को खत्म करता है।
चने के सत्तू में आयरन, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस पाया जाता है जो शरीर को इंस्टेंट एनर्जी देने का कम करता है। विशेषकर तब जब इसमें नींबू और नमक मिलाकर पीया जाए। सत्तू में और भी कई गुण पाए जाते है जो शरीर की थकान मिटाकर एनर्जी देने में मदद करता है।
शरीर में लोहा (Iron) की कमी हो जाने पर एनीमिया या खून का कमी की समस्या हो जाती है। सत्तू इसे भी दूर करने की क्षमता रखता है। शरीर में आयरन की कमी होने पर रोजाना सत्तू में पानी मिलाकर पीने से काफी लाभ होता है। यह समस्या अधिकतर महिलाओं में गर्भावस्ता के बाद होती है। ऐसे में सत्तू पीना लाभकारी होगा।
सत्तू में प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है जो यकृत को स्वस्थ रखने के लिए बहुत जरूरी है। सत्तू के केवल आधे कप में 10 ग्रा प्रोटीन, 3 ग्रा फैट और 178 कैलोरी होती है। गरिष्ठ, ज्याद तेल-मसाले और मैदा आदि से बना खाने और शराब पीने का सबसे ज्यादा असर यकृत पर पड़ता है। यकृत की बीमारी कई अन्य बीमारियों की वजह बन सकती है। सत्तू का नियमित तौर पर सेवन करने से यकृत को ताकत मिलती है।
सत्तू में बीटा-ग्लूकेन होता है जो शरीर में बढ़ते ग्लूकोस के अवशोषण को कम करता है। इससे खून में शुगर का लेवल नियंत्रित रहता है। मधुमेह के रोगी नियमित रूप से सत्तू का सेवन करें तो डायबिटीज को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन इसके लिए चीनी वाले सत्तू के शरबत का सेवन नहीं करना चाहिए।
-सत्तू का शरबत बनाते समय उसमें चीनी की जगह खांड या बूरे को मिलाना फायदेमंद होता है।
-चीनी, खांड या बूरा की जगह सेंधा और काला नमक भी मिला सकते हैं।
-नमक मिला सत्तू सवेरे या दोपहर में पी रहे हों तो उसमें महीन-महीन कतर कर प्याज और हरी मिर्च भी डाल सकते हैं। लाल मिर्च बिल्कुल भी नहीं मिलाएं।
-नमकीन सत्तू में नींबू और हल्का भूनने के बाद पीसा गया जीरा भी मिला सकते हैं। इससे ब्लडप्रेशर नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।
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