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इस्लामाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान के बजाए पंजाब को देने की घोषणा की है।56 साल पहले भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता हुआ था।इसे दो देशों के बीच जल विवाद पर एक सफल अंतरराष्ट्रीय उदाहरण बताया जाता है।दोनों देशों के बीच दो बड़ी जंग, एक कारगिल युद्ध और हज़ारों दिक्क़तों के बावजूद ये संधि कायम है. विरोध के स्वर उठते रहे लेकिन संधि पर असर नहीं पड़ा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद मीडिया में तो सुर्खियां बन गईं लेकिन इस पर अभी तक विदेश विभाग की ओर से कोई बयान नहीं आया है।पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ देश से बाहर हैं। वो तुर्केमिनिस्तान के दौरे पर गए हुए हैं।

आम तौर पर जब किसी दूसरे देश के प्रमुख का बयान आता है तो विदेश विभाग यह कहता है कि मीडिया रिपोर्ट के आधार पर हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।

इससे पहले जब सिंधु जल समझौते की पुर्नसमीक्षा की बात हुई थी तब नरेंद्र मोदी ने क़ानूनी सलाहकारों से विमर्श करने के बाद कहा था कि सिंधु जल समझौता कायम रहेगा।इस समझौते की शर्त है कि कोई एक पक्ष इसमें बदलाव नहीं कर सकता है।यह तब ही ख़त्म होगा जब दोनों पक्ष इसे ख़त्म करने के लिए सहमत हो।अगर इसे कोई एक पक्ष ख़त्म करता है तो उस पर समझौते के मुताबिक़ उचित कार्रवाई होगी।

पाकिस्तान इस बात को समझता है कि भारत इस समझौते में अपनी ओर से कोई तब्दीली नहीं कर सकता है इसलिए वो इत्मिनान से है.

पंजाब में चूंकि चुनाव होने वाले हैं और आम तौर पर चुनाव में इस तरह के बयान और दावे किए जाते हैं ताकि स्थानीय लोगों को हौसला मिले।इसलिए पाकिस्तानी मीडिया ने भी यह कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों का दिल जीतने के लिए यह बयान दिया है. नहीं तो उन्हें और उनकी क़ानूनी सलाहकारों की टीम को पता है कि ऐसा मुमकिन नहीं है।

जहां तक सिंधु नदी के पानी की बात है तो यह पाकिस्तान में सिंचाई के लिहाज से बहुत अहमियत रखता है।

बीबीसी से साभार

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