रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पहली बार है जब दो एशियाई ताकतें भारत और चीन सैन्य साजोसामान पर अधिक खर्च करने वाले दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल हुई हैं।
लंदन। शांति, सद्भाव और भाईचार जैसे शब्द मानो बेमायने हो गए हैं। दुनिया हथियारों के ढेर पर बैठी है। अमेरिका, चीन, रूस, भारत, ब्रिटेन से लेकर आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुके पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक में तबाही का अधिक से अधिक सामान बनाने और खरीदने की होड़-सी लगी है। एक साल में दुनिया के सैन्य खर्च में 3.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। हालत यह है कि भारत सैन्य खर्च के मामले में रूस से भी आगे तीसरे नंबर पर पहुंच गया है।
स्टॉकहोम स्थित इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (Stockholm International Peace Research Institute यानी SIPRI) के एक अध्ययन में पाया गया है कि साल 2019 में दुनिया के तमाम देशों में सैन्य साजोसामान पर किए जा रहे खर्चों में मौजूदा दशक की सबसे ऊंची सालाना बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। सैन्य साजोसामान पर भारी भरकम खर्च करने वाले देशों में अमेरिका अव्वल है, दूसरे नंबर पर चीन और उसके बाद भारत का स्थान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पहली बार है जब दो एशियाई ताकतें भारत और चीन सैन्य साजोसामान पर अधिक खर्च करने वाले दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल हुई हैं।
अध्ययन के मुताबिक, साल 2019 में वैश्विक सैन्य खर्च 1,917 अरब डॉलर रहा जो साल 2018 के सैन्य साजोसामान पर किए गए खर्च की तुलना में 3.6 फीसद अधिक है। यदि बीते एक दशक के खर्चों के लिहाज से तुलना करते तो सैन्य खर्च में यह बढ़ोतरी दर (3.6 प्रतिशत) साल 2010 के बाद सबसे अधिक है। दुनिया में सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले अमेरिका ने साल 2019 में 732 अरब डॉलर सैन्य साजोसामान पर व्यय किए जो 2018 के तुलना में 5.3 प्रतिशत ज्यादा है। यह रकम दुनियाभर में होने वाले सैन्य खर्च की 38 प्रतिशत है।