नई दिल्ली। पहले पुलिस ने निजामुद्दीन मरकज के जिम्मेदार लोगों को थाने बुलाकर समझाया, फिर खुद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसएए) अजीत डोभाल मरकज के अमीर मौलाना साद को समझाने उनके पास गए पर वे टस से मस नहीं हुए। अंततः पुलिस को मरकज खाली कराना पड़ा। इसके बाद जब मरकज बाले कुछ कागजात दिखाकर खुद को मासूम जताने की कोशिश करने लगे तो सरकारी मशीनरी से इन दोनों घटनाओं से जुड़े वीडियो जारी कर मौलाना साद की कारगुजारियों के कच्चा चिट्ठा खोल दिया।
दरअसल, निजामुद्दीन मरकज से निकाले गए जमाती देश में कोरोना वायरस संक्रमण का बड़ा खतरा बन गए हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में यहां से लौटे 180 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। इस बीच एक समाचार एजेंसी ने एक अहम खबर दी। इसके मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर एनएसए अजीत डोभाल 28 और 29 मार्च की दरमियानी रात करीब 2 बजे निजामुद्दीन मरकज गए थे। पुलिस और प्रशासन के कुछ आला अफसर भी उनके साथ थे। डोभाल ने मरकज प्रमुख मौलाना साद और आयोजन से जुड़े दूसरे जिम्मेदारों से जगह खाली करने को कहा। ये भी कहा कि यहां मौजूद सभी लोगों का टेस्ट कराने के बाद उन्हें क्वैरेंटाइन किया जाएगा। एनएसए ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव से भी बात की। लेकिन, मौलाना साद अपनी अकड़ में रहे और एनएसए की बात को मामने से इन्कार कर दिया। इस पर डोभाल ने मौलाना साद को दो टूक समझा दिया कि हालात खतरनाक हैं। लिहाजा, मरकज खाली करने के साथ ही अधिकारियों के आदेश मानने होंगे। हालांकि, साद ने फिर भी गंभीरता नहीं दिखाई। उल्टा उसने पुलिस की मरकज में मौजूदगी पर ही सवाल उठा दिए। इसी के बाद पुलिस हरकत में आई और मरकज को खाली कराया गया। यहां से लोगों को सरकारी अस्पताल ले जाया गया। इनके टेस्ट कराए गए जिनमें कई लोगो कोरोना पॉजिटिव निकले। कई लोगों को क्वारैंटाइन सेंटर्स में रखा गया है।
दरअसल, कुछ दिन पहले तेलंगाना के करीमनगर में 9 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित मिले थे। ये सभी इंडोनेशिया के नागरिक है और 18 मार्च को मरकज में हुए कार्यक्रम में शामिल हुए थे। यह जानकारी गृह मंत्रालय और एनएसए को मिली। पुलिस ने निजामुद्दी मरकज के प्रबंधकों को थाने बुलाकर मरकज खाली करने को कहा। 23 मार्च 2020 को हुई पुलिस और मरकज के प्रबंधकों की यह बैठक न केवल सीसीटीवी कैमरे में कैद है बल्कि पुलिस ने इसकी वीडियोग्राफी भी कराई थी ताकि हालात बिगड़ें तो मरकज के प्रबंधक अपनी जिम्मेदारी से पल्ला न झाड़ लें और ऐसा हुआ भी। हालांकि मरकज खाली कराए जाने के बाद उसके कई प्रबंधकों का अता-पता नहीं मिल रहा है। मौलाना साद भी भूमिगत बताए जा रहे हैं। 23 मार्च 2020 को हुई इस बैठक का एक वीडियो भी सामने आया जो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है और दुनियाभर में लाखों लोग इसे देख चुके हैं।
दिल्ली पुलिस सूत्रों की मानें
तो जिस रात एनएसए डोभाल तब्लीगी जमात मुख्यालय पहुंचे थे, उसके कुछ ही देर बाद
मौलाना साद फरार हो गया। उसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है। सवाल ये है कि
अगर मौलाना साद की मंशा साफ थी तो वह मरकज से गायब क्यों हुआ? मरकज प्रवक्ता मोहम्मद शोएब अली ने बुधवार को कहा, “मौलाना साद फिलहाल जमात हेडक्वार्टर से बाहर हैं। कहां और
क्यों हैं, मैं नहीं बता सकता। यह जरूर है कि वह
अक्सर परिवार से मिलने घर जाते-आते रहते हैं। संभव है कि वह परिवार से मिलने निकल
गए हों।”
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