नई दिल्ली। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आईएनएक्स मीडिया मामले में आरोपपत्र (चार्जशीट) शुक्रवार को दाखिल कर दिया। इसमें वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम, उनके सांसद बेटे कार्ति चिदंबरम और पीटर मुखर्जी समेत 14 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इस मामले पर सुनवाई सोमवार, 21 अक्तूबर को होगी।

गुरुवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय को 24 अक्टूबर तक चिदंबरम से पूछताछ करने की अनुमति दे दी और आईएनएक्स भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई की ओर से दायर मामले में इसी तारीख तक चिदंबरम की न्यायिक हिरासत भी बढ़ा दी।

सीबीआई और ईडी का चिदंबरम पर शिकंजा कसने के पीछे इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी के बयान हैं। आईएनएक्स मीडिया के प्रमोटर्स मुखर्जी दंपती के दिए बयान कांग्रेस नेता के खिलाफ जांच एजेंसियों का मजबूत आधार बने हैं। सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसी को दिए बयान में इंद्राणी ने कहा है कि आईएनएक्स मीडिया की अर्जी फॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) के पास थी। इंद्राणी ने कहा कि उन्होंने पति पीटर मुखर्जी और कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ पूर्व वित्त मंत्री के दफ्तर नॉर्थ ब्लॉक में जाकर मुलाकात की थी। 

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दिए अपने बयान में इंद्राणी ने बताया, “चिदंबरम ने पीटर के साथ बातचीत की और एफडीआई वाली आईएनएक्स मीडिया की अर्जी की प्रति पीटर ने उन्हें सौंपी। एफआईपीबी की मंजूरी के बदले चिदंबरम ने पीटर से कहा कि उनके बेटे कार्ति के बिजनेस में मदद करनी होगी।” ईडी ने इस बयान को चार्जशीट में दर्ज किया और इसे कोर्ट में भी सबूत के तौर पर पेश किया। 

यह पूरा मामला आईएनएक्स मीडिया को फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) से गैरकानूनी तौर पर मंजूरी दिलवाने से जुड़ा है। इसमें आईएनएक्स ने 305 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश हासिल किया था। इस केस में गड़बड़ी की आंच कार्ति चिदंबरम के जरिए तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम तक पहुंची और 15 मई 2017 में सीबीआई ने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी में अनियमितताओं के चलते पहली एफआईआर दर्ज की। इसके बाद साल 2018 में प्रवर्तन निदेशालय ने भी मनी लांड्रिंग मामले में केस दर्ज किया।

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