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ऐतिहासिक पल के गवाह बनेंगे इकबाल अंसारी, राम मंदिर भूमिपूजन कार्यक्रम में शामिल होने का मिला न्योता

अयोध्या। (Ram Mandir Bhoomi Pujan ceremony) अयोध्या भूमि विवाद मुकदमे में मस्जिद पक्ष के  पैरोकार रहे मोहम्मद इकबाल अंसारी को श्रीराम मंदिर की नींव रखने की रस्म में शामिल होने का निमंत्रण मिला है। इस पर इकबाल अंसारी ने कहा, “यह भगवान राम की इच्छा थी जो मुझे पहला निमंत्रण मिला। मैं इसे स्वीकार करता हूं।”

राम मंदिर निर्माण के लिए आगामी 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों ऐतिहासिक भूमि पूजन होना है। इस आयोजन को लेकर पूरे धाम में उत्सव का माहौल है। इस मौके पर बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने अयोध्या में प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत के लिए विशेष तैयारियां कर रखी हैं। वह प्रधानमंत्री मोदी को रामचरित मानस और रामनामी पटका भेंट करना चाहते हैं। 

इससे पहले इकबाल अंसारी ने कहा था कि यदि भूमि पूजन के लिए उन्हें निमंत्रण दिया जाता है तो वह जरूर जाएंगे। हमारा मजहब हमें सभी धर्मों का आदर सिखाता है। हम हिंदू धर्म के लाखों देवी-देवताओं के साथ सभी पीर-पैगंबर का सम्मान करते हैं। भगवान राम के जिक्र पर वे कहते हैं, “ राम तो राम हैं, हम उनके किरदार को क्या समझेंगे, पर इतना जरूर कहूंगा कि हमें उनके बताए रास्ते पर चलना चाहिए।” 

बतौर प्रधानमंत्री पहली बार अयोध्या आ रहे नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए इकबाल अंसारी ने हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ रामचरितमानस और रामनामी पटका खरीदा है। इसे वह 5 अगस्त प्रदानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट करने की तैयारी में हैं। इकबाल अंसारी ने कहा कि उनकी चाहत है कि वह प्रधानमंत्री मोदी को खुद रामनामी पटका ओढ़ाएं और हिन्दू पवित्र ग्रंथ रामचरित मानस भेंट स्वरूप दें। यदि उन्हें ट्रस्ट द्वारा निमंत्रण दिया जाता है तो राम मंदिर के भूमि पूजन में शामिल होने का सौभाग्य कतई नहीं गंवाएंगे।

पिता के रास्ते पर चलते रहे इकबाल

पिता हाशिम अंसारी के बाद मोहम्मद इकबाल अंसारी ने अदालत में मस्जिद की पैरोकारी की लेकिन उनके दिल में हमेशा रामलला का सम्मान रहा। 2010 में हाईकोर्ट का निर्णय आने के पूर्व जब मंदिर-मस्जिद रार चरम पर थी, तब हाशिम ने सीना ठोंक कर कहा कि वह अदालत का हर निर्णय मानेंगे, भले ही फैसला रामलला के हक में आये। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो हाशिम ने खुल कर कहा कि जहां रामलला विराजमान हैं, वहां उनकी गरिमा के हिसाब से मंदिर बनना चाहिए। 20 जुलाई 2016 को उनका इंतकाल हुआ। इसके बाद इकबाल अंसारी पिता के दिखाए रास्ते पर बढ़े। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उन्होंने दिल खोलकर स्वागत किया।

gajendra tripathi

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