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ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग “जाग गया है”, जानिए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा…

नई दिल्ली। ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग ‘जाग गया है’।“ सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह टिप्पणी की। इसके साथ ही कोर्ट ने चुनाव प्रचार के दौरान कथित तौर पर आपत्तिजनक और नफरत भरे भाषण देने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बसपा सुप्रीमो मायावती, केंद्रीय मंत्री व भाजपा नेता मेनका गांधी तथा सपा नेता आजम खां के खिलाफ चुनाव आयोग की कार्रवाई पर संतोष जताया।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने बसपा सुप्रीमो मायावती के चुनाव प्रचार करने पर निर्वाचन आयोग द्वारा लगाए 48 घंटे के प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से भी इनकार कर दिया। पीठ ने मायावती के वकील से कहा कि चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ अलग से अपील दायर करें।

चुनाव आयोग की कार्रवाई का संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि चुनाव आयोग “जाग गया है” और उसने विभिन्न नेताओं को अलग-अलग समय तक चुनाव प्रचार करने से रोक दिया है। दो सदस्यीय पीठ ने स्पष्ट किया कि अभी इसमें आगे किसी और आदेश की जरुरत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट संयुक्त अरब अमीरात के शारजाह में रहने वाले प्रवासी भारतीय योग प्रशिक्षक हरप्रीत मनसुखानी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। याचिका में चुनाव आयोग को उन राजनीतिक दलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश देने की मांग की गई है जिनके प्रवक्ता आम चुनावों के लिए मीडिया में जाति एवं धर्म के आधार पर टिप्पणियां करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार के दौरान मायावती और योगी आदित्यनाथ के कथित रूप से विद्वेष फैलाने वाले भाषणों का संज्ञान लेते हुए आयोग से जानना चाहा था कि उसने अभी तक क्या कार्रवाई की है। इससे पहले आयोग ने इस मामले में खुद को “अधिकारविहीन” बताया था। कोर्ट ने आयोग से कहा था, ”आप बताएं कि आप क्या कर रहे हैं। हमें बताएं कि आपने क्या कार्रवाई की है।” पीठ ने आयोग के एक प्रतिनिधि को मंगलवार की सुबह साढ़े दस बजे पेश होने का निर्देश भी दिया था।” 

हालांकि, पीठ ने चुनाव आयोग के इस कथन पर गौर करने का निश्चय किया था कि उसके पास चुनाव प्रचार के दौरान जाति एवं धर्म को आधार बना कर विद्वेष फैलाने वाले वाले भाषणों से निबटने के लिए सीमित अधिकार हैं। आयोग के वकील का कहना था कि हम नोटिस देकर जवाब मांग सकते हैं परंतु हम किसी राजनीतिक दल की मान्यता खत्म नहीं कर सकते और न ही किसी प्रत्याशी को अयोग्य करार दे सकते हैं। हम सिर्फ सलाह जारी कर सकते हैं और यह अपराध दोबारा होने पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

गौरतलब है  सुप्रीम कोर्ट के सख्त रूख के चंद घंटों के भीतर ही चुनाव आयोग ने योगी आदित्यनाथ और मायावती की सांप्रदायिक टिप्पणियों के लिए कड़े शब्दों में निन्दा की और उन्हें क्रमशः 72 और 48 घंटों के लिए चुनाव प्रचार से रोक दिया। इसके बाद आयोग आजम खां और मेनका गांधी के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई की थी।

gajendra tripathi

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