बरेली। आषाढ़ अमावस्या (21 जून 2020) पर कंकणाकृति सूर्यग्रहण (Kankankruti solar eclipse) होगा। इसी दिन शनि, गुरु, शुक्र और बुध ग्रह उल्टी चाल में होंगे, राहु और केतु तो सदैव उल्टी दिशा में चलते ही हैं। इस तरह से ये 6 ग्रह अपने प्रभाव के कारण आकाश में अद्भुत नजारा प्रस्तुत करेंगे जिसका अंतरिक्ष वैज्ञानिकों (Space scientists) से लेकर आम आदमी तक सभी को इंतजार है क्योंकि इस दौरान करीब 30 सेकेंड तक दिन में रात जैसा नजारा होगा और आसमान में दिन में तारे टिमटिमाते नजर आएंगे।
ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा (Jyotishacharya Rajesh Kumar Sharma) के अनुसार 21 जून को शुक्र ग्रह सूर्य से लगभग 25 अंश पश्चिम की ओर जबकि बुध ग्रह सूर्य से 14 अंश पूर्व की ओर दिखाई देगा। तारामंडल में मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या राशियों के ग्रह-नक्षत्र पश्चिम से पूर्व क्षितिज तक इस समय अधिकतम 30 सेकेंड के लिए टिमटिमाते दिखाई देंगे। सूर्य ग्रहण में कंकणाकृति प्रारंभ होने के 4 सेकेंड पहले पश्चिम क्षितिज की ओर एक विशालकाय काली छाया तूफान की तरह भागती दिखेगी जिसके साथ ही दिन में अंधेरा हो जाएगा।
सूर्यग्रहण का समय सामान्यता प्रातः 10:09 बजे से अपराह्न 1:36 बजे तक रहेगा परंतु शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण का स्पर्श 9:16 बजे से होगा। कंकणाकृति प्रातःकाल 10:19 से शुरू होगी। ग्रहण का मध्य दोपहर 12:10 बजे रहेगा। कंकणाकृति दोपहर 2:02 पर समाप्त होगी। ग्रहण पूर्ण रूप से 3:04 बजे तक प्रभावी रहेगा। इस प्रकार ग्रहण काल करीब 5 घंटे 48 मिनट तक रहेगा जबकि कंकणाकृति 1 घंटा 17 मिनट तक दिखाई देगी
बरेली मंडल में सूर्यग्रहण प्रातःकाल 10:21 बजे स्पर्श करेगा जिसका मध्यकाल 11:57 बजे और पूर्ण काल अपराह्न 1:38 बजे होगा। इस प्रकार बरेली मंडल में करीब 3 घंटे 17 मिनट तक सूर्य ग्रहण रहेगा। ग्रहण का सूतक काल 20 जून की रात्रि 10:20 शुरू होगा।
ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि ज्योतिषीय गणना के अनुसार 900 वर्ष के बाद सूर्य ग्रहण का ऐसा दुर्लभ योग बन रहा है क्योंकि 21 जून को ही वर्ष का सबसे बड़ा दिन भी होता है।
यह सूर्य ग्रहण मेष, सिंह, कन्या और मकर राशियों के लिए शुभ जबकि वृषभ, तुला, धनु, एवं कुंभ राशियों के लिए सामान्य तथा मिथुन, कर्क, वृश्चिक और मीन राशियों को अशुभ फलदाई होगा। यहां पर यह कहना समीचीन होगा कि जातक अपनी जन्म-पत्रिका किसी योग्य विद्वजन को अवश्य दिखाकर परामर्श कर लें।
भारत में दिखने वाले इस सूर्य ग्रहण का बड़ा प्रभाव देखने को मिलेगा। 18 जून से 25 जून तक 7 दिनों के लिए 6 ग्रह वक्री रहेंगे, साथ में गुरु और शनि का एक साथ मकर राशि में दुर्लभ योग भी बनेगा। इससे पहले यह योग वर्ष 1961 में देखने को मिला था जब गुरु नीच राशि मकर और शनि स्वयं की राशि मकर में एक साथ युति बनाते हुए वक्री हुए थे। इन ग्रहों के वक्री होने से दुनियाभर में महामारी का असर कम होने की उम्मीद की जा सकती है अर्थव्यवस्था में भी सुधार के योग बन सकते हैं।
ग्रहण काल में प्रभु का जाप, भजन, धार्मिक ग्रंथों का पठन-पाठ एवं श्रवण करना उचित रहेगा। आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ अत्यंत शुभ एवं कार्य सिद्ध करने वाला होगा। ग्रहण काल के उपरांत संभव हो तो किसी नदी में स्नान आदि करने के पश्चात निर्धनों/दलितों को खाद्य वस्तुएं दान में दी जाएं तो अनेकों-अनेक संकटों एवं कष्टों से मुक्ति पाई जा सकती है।
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