उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच के लिए चार सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर दिया है। यह टीम छह माह में जांच रिपोर्ट पेश करेगी।

लखनऊ। सन् 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कानपुर में हुए सिख विरोधी दंगों की फिर से जांच होगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके लिए पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) अतुल की अध्यक्षता में एक विशेष अनुसंधान दल (SIT) गठित कर दिया है। एसआइटी उस समय के मुकदमों की पड़ताल करेगी और जो लोग बरी कर दिए गए हैं, उनके मामलों की फिर से विवेचना करेगी। एसआईटी को छह महीने में जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपनी है। एसआईटी का गठन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किया गया है।

चार सदस्यीय टीम करेगी जांच

विशेष अनुसंधान दल में सेवानिवृत्त डीजीपी अतुल अध्यक्ष के अलावा सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश सुभाष चंद्र अग्रवाल और सेवानिवृत्त अपर निदेशक अभियोजन योगेश्वर कृष्ण श्रीवास्तव सदस्य तथा कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक सचिव सदस्य बनाये गए हैं। यह जांच दल 1984 में कानपुर में हुए सिख विरोधी दंगों के संबंध में दर्ज उन मुकदमों का परीक्षण करेगा जिनमें पुलिस अंतिम रिपोर्ट लगा चुकी है।

जघन्य अपराध से जुड़े मामलों को प्राथमिकता

परीक्षण में जघन्य अपराध से जुड़े प्रकरण प्राथमिकता पर होंगे। यदि किसी प्रकरण में औचित्य पाया जाता है तो एसआइटी उसमें 173 (8) सीआरपीसी के तहत अग्रेतर विवेचना करेगी। एसआइटी उन मामलों का भी समुचित परीक्षण करेगी जिनमें अदालत द्वारा अभियुक्त दोषमुक्त कर दिए गए हैं। ऐसे मामलों में परीक्षण के बाद यदि विधिक रूप से ऐसा कोई प्रकरण पाया जाता है जिसमें औचित्य होते हुए भी अपील/रिट दाखिल नहीं की गई तो उस प्रकरण में एसआइटी सक्षम न्यायालय में अपील/रिट किये जाने की कार्रवाई के लिए संस्तुति करेगी।

एसआइटी को विवेचना तथा अन्य कार्यों के लिए मांगे जाने पर निरीक्षक-उपनिरीक्षक, अभियोजन अधिकारी व अन्य कर्मचारी र्डीजीपी/डीजी अभियोजन के स्तर से उपलब्ध कराये जाएंगे। गौरतलब है कि कानपुर में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में बजरिया, नजीराबाद समेत अन्य थानों में मुकदमे दर्ज हुए थे। मनजीत सिंह व अन्य की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एसआइटी गठित कर जांच कराने का आदेश दिया था।

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