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काशी महाकाल एक्‍सप्रेसः बर्थ पर शिव मंदिर, असदुद्दीन ओवैसी का नरेंद्र मोदी पर निशाना

हैदराबाद। वाराणसी से इंदौर के बीच रविवार को शुरू हुई काशी महाकाल एक्‍सप्रेस में एक सीट को भगवान शिव के लिए आरक्षित करने और उसे मंदिर का रूप देने पर राजनीति शुरू हो गई है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महाकाल एक्‍सप्रेस को हरी झंडी दिखाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। ओवैसी ने पीएमओ को संबोधित करते हुए तीन ट्वीट किए हैं। उन्‍होंने पोस्‍ट के साथ संविधान के एक पन्‍ने को भी शेयर कर भारतीय संविधान के प्रस्‍तावना की याद दिलाई है और इसके जरिए इशारों ही इशारों में ट्रेन की एक सीट को शिव मंदिर में बदलने पर आपत्ति जताई। एआईएमआईएम प्रमुख  ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह बताने की कोशिश की कि संविधान इस बात की घोषणा करता है कि भारत एक, “समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और गणतंत्र राष्ट्र” है। रेलवे का यह कदम “संविधान की आत्‍मा” कही जाने वाली उसकी प्रस्‍तावना के खिलाफ है।

देश के तीन प्रमुख ज्‍योतिर्लिंगों को जोड़ने वाली काशी महाकाल एक्‍सप्रेस शिव के भक्‍तों के लिए समर्पित की गई है। इस ट्रेन को शिव से जुड़े धार्मिक स्‍थलों से जोड़ने की वजह से ट्रेन में विशेष व्‍यवस्‍था की गई है कि कोई भी यात्री भगवान शिव को कोच संख्‍या पांच की सीट नंबर 64 पर आकर नमन कर सकता है। इस बर्थ पर भगवान शिव के प्र‍तीक के तौर पर छोटा मंदिर का स्‍वरूप बनाया गया है। इसी को लेकर एआइएमआइएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी की ओर से सवाल उठाया गया है।

हालांकि, रेलवे के सूत्रों के अनुसार बोगी संख्या- बी 5 के 64 नंबर बर्थ पर बना मंदिर अस्थायी है, जहां इनॉगरेशन रन के दौरान आईआरसीटीसी के कर्मचारियों ने पूजा-अर्चना की। यह पहला मौका है जब ट्रेन की सीट भगवान के नाम से रिजर्व की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने वाराणसी दौरे की यह ट्रेन 20 फरवरी से नियमित रूप से चलेगी।

काशी महाहाल एक्‍सप्रेस देश की तीसरी कारपोरेट ट्रेन है। इस ट्रेन से बाबा विश्वनाथ की नगरी को ओंकारेश्वर और महाकालेश्वर से जोड़ा गया है। बारह में से तीन ज्‍योर्लिंगों को जोड़ने की वजह से ट्रेन की धार्मिक महत्‍ता को देखते हुए धार्मिक यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को ट्रेन से आध्‍यात्मिक रूप से जोड़ने के लिए कोच संख्‍या पांच के सीट नंबर 64 को मंदिर का रूप देते हुए इसे भगवान के नाम पर पहले दौरे में रिजर्व किया गया। आगे भी रेलवे इस ट्रेन में कई अन्‍य प्रयोग कर श्रद्धालुओं को आकर्षित करने का प्रयास करेगी।।

gajendra tripathi

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